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आ कृ॒ष्णेन॒ रज॑सा॒ वर्त्त॑मानो निवे॒शय॑न्न॒मृतं॒ मर्त्यं॑ च। हि॒र॒ण्यये॑न सवि॒ता रथे॒ना दे॒वो या॑ति॒ भुव॑नानि॒ पश्य॑न् ॥३१ ॥

मन्त्र उच्चारण
पद पाठ

आ। कृ॒ष्णेन॑। रज॑सा। वर्त्त॑मानः। नि॒वे॒शय॒न्निति॑ निऽवे॒शय॑न्। अ॒मृत॑म्। मर्त्य॑म्। च॒ ॥ हि॒र॒ण्यये॑न। स॒वि॒ता। रथे॑न। आ। दे॒वः। या॒ति॒। भुव॑नानि। पश्य॑न् ॥३१ ॥

यजुर्वेद » अध्याय:34» मन्त्र:31


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हिन्दी - स्वामी दयानन्द सरस्वती

अब विद्युत् से क्या सिद्ध करना चाहिये, इस विषय को अगले मन्त्र में कहा है ॥

पदार्थान्वयभाषाः - हे विद्वन् ! आप जो (आ, कृष्णेन) आकर्षित हुए (रजसा) लोकसमूह के साथ (वर्त्तमानः) निरन्तर (अमृतम्) नाशरहित कारण (च) और (मर्त्यम्) नाशसहित कार्य्य को (निवेशयन्) अपनी-अपनी कक्षा में स्थित करता हु्आ (हिरण्ययेन) तेजःस्वरूप (रथेन) रमणीयस्वरूप के सहित (सविता) ऐश्वर्य का दाता (देवः) देदीप्यमान विद्युद्रूप अग्नि (भुवनानि) संसारस्थ वस्तुओं को (याति) प्राप्त होता है, उसको (पश्यन्) देखते हुए सम्यक् प्रयुक्त कीजिये ॥३१ ॥
भावार्थभाषाः - हे मनुष्यो ! जो बिजली कार्य और कारण को सम्यक् प्रकाशित कर सर्वत्र अभिव्याप्त तेजःस्वरूप शीघ्रगामिनी सबका आकर्षण करनेवाली है, उसको देखते हुए सम्प्रयोग में अभीष्ट स्थानों को शीघ्र जाया करो ॥३१ ॥
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संस्कृत - स्वामी दयानन्द सरस्वती

अथ विद्युता किं साध्यमित्याह ॥

अन्वय:

(आ) समन्तात् (कृष्णेन) कर्षितेन (रजसा) लोकसमूहेन सह (वर्त्तमानः) (निवेशयन्) नित्यं प्रवेशयन् (अमृतम्) नाशरहितं कारणम् (मर्त्यम्) नाशसहितं कार्य्यम् (च) (हिरण्ययेन) तेजोमयेन (सविता) ऐश्वर्यप्रदः (रथेन) रमणीयेन स्वरूपेण (आ) (देवः) देदीप्यमानः (याति) प्राप्नोति (भुवनानि) भवनाधिकरणानि वस्तूनि (पश्यन्) संप्रेक्षमाणः ॥३१ ॥

पदार्थान्वयभाषाः - हे विद्वँस्त्वं य आकृष्णेन रजसा सह वर्त्तमानः सततममृतं मर्त्यञ्च निवेशयन् हिरण्ययेन रथेन सविता देवो विद्युद् भुवनानि याति, तं पश्यन् सन् संप्रयुङ्ग्धि ॥३१ ॥
भावार्थभाषाः - हे मनुष्याः ! या विद्युत्कार्य्यं कारणं सम्प्रकाश्य सर्वत्राऽभिव्याप्ता तेजोमयी सद्योगामिनी सर्वाकर्षिका वर्त्तते, तां प्रेक्षमाणाः सन्तः संप्रयुज्याऽभीष्टानि सद्यो यात ॥३१ ॥
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मराठी - माता सविता जोशी

(यह अनुवाद स्वामी दयानन्द सरस्वती जी के आधार पर किया गया है।)
भावार्थभाषाः - हे माणसांनो ! जी विद्युत कार्य कारणाने सम्यक् रीतीने प्रकाशित होऊन सर्वत्र व्याप्त असते ती तेजस्वी, शीघ्रगामिनी आणि सर्वांना आकर्षित करणारी असते. तिला योग्य तऱ्हेने प्रयुक्त करून इष्ट स्थानी येणे-जाणे करा.