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दे॒वन्दे॑वं॒ वोऽव॑से दे॒वन्दे॑वम॒भिष्ट॑ये। दे॒वन्दे॑वꣳ हुवेम॒ वाज॑सातये गृ॒णन्तो॑ दे॒व्या धि॒या ॥९१ ॥

मन्त्र उच्चारण
पद पाठ

दे॒वन्दे॑वमिति॑ दे॒व॒म्ऽदे॑वम्। वः॒। अव॑से। दे॒वन्दे॑व॒मिति॑ दे॒वम्ऽदे॑वम्। अ॒भिष्ट॑ये ॥ दे॒वन्दे॑वमिति॑ दे॒वम्ऽदे॑वम्। हु॒वे॒म॒। वाज॑सातय॒ इति॒ वाज॑ऽसातये। गृ॒णन्तः॑। दे॒व्या। धि॒या ॥९१ ॥

यजुर्वेद » अध्याय:33» मन्त्र:91


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हिन्दी - स्वामी दयानन्द सरस्वती

फिर राजधर्म विषय को कहा है ॥

पदार्थान्वयभाषाः - हे मनुष्यो ! (देव्या) प्रकाशमान (धिया) बुद्धि वा कर्म से (गृणन्तः) स्तुति करते हुए हम लोग जैसे (वः) तुम्हारे (अवसे) रक्षादि के लिये (देवन्देवम्) विद्वान्-विद्वान् वा उत्तम पदार्थ को (हुवेम) बुलावें वा ग्रहण करें तुम्हारे (अभिष्टये) अभीष्ट सुख के लिये (देवन्देवम्) विद्वान्-विद्वान् वा उत्तम प्रत्येक पदार्थ को तथा तुम्हारे (वाजसातये) वेगादि के सम्यक् सेवन के लिये (देवन्देवम्) विद्वान्-विद्वान् वा उत्तम प्रत्येक पदार्थ को बुलावें वा स्वीकार करें, वैसे तुम लोग भी ऐसा हमारे लिये करो ॥९१ ॥
भावार्थभाषाः - जो राजपुरुष सब प्राणियों के हित के लिये विद्वानों का सत्कार कर इनसे सत्योपदेश का प्रचार करा सृष्टि के पदार्थों को जान और सब अभीष्ट सिद्ध कर संग्रामों को जीतते हैं, वे उत्तम कीर्ति और बुद्धि को प्राप्त होते हैं ॥९१ ॥
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संस्कृत - स्वामी दयानन्द सरस्वती

पुना राजर्धमविषयमाह ॥

अन्वय:

(देवन्देवम्) विद्वांसं विद्वांसं दिव्यं दिव्यं पदार्थं वा (वः) युष्माकम् (अवसे) रक्षणाद्याय (देवन्देवम्) (अभिष्टये) इष्टसुखाय (देवन्देवम्) (हुवेम) आह्वयामः स्वीकुर्याम वा (वाजसातये) वाजानां वेगादीनां सम्भागाय (गृणन्तः) स्तुवन्तः (देव्या) देदीप्यमानया (धिया) प्रज्ञया कर्मणा वा ॥९१ ॥

पदार्थान्वयभाषाः - हे मनुष्याः ! देव्या धिया गृणन्तो वयं यथा वोऽवसे देवन्देवं हुवेम वोऽभिष्टये देवन्देवं हुवेम वो वाजसातये च देवन्देवं हुवेम तथा यूयमप्येवमस्मभ्यं कुरुत ॥९१ ॥
भावार्थभाषाः - ये राजपुरुषाः सर्वेषां प्राणिनां हिताय विदुषः सत्कृत्यैतैः सत्योपदेशान् प्रचार्य सृष्टिपदार्थान् विज्ञाय सर्वाभीष्टं संसाध्य सङ्ग्रामान् जयन्ति, ते दिव्यां कीर्तिं प्रज्ञाञ्च लभन्ते ॥९१ ॥
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मराठी - माता सविता जोशी

(यह अनुवाद स्वामी दयानन्द सरस्वती जी के आधार पर किया गया है।)
भावार्थभाषाः - जे राजपुरुष सर्व प्राण्यांच्या हितासाठी विद्वानांचा सत्कार करतात व त्यांच्याकडून सत्याचा प्रसार करवितात व सृष्टीतील पदार्थांना जाणून सर्व प्रकारचे अभीष्ट सिद्ध करतात व संग्राम जिंकतात ते उत्तम कीर्ती व बुद्धी प्राप्त करतात.