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अत्रा॑ ते रू॒पमु॑त्त॒मम॑पश्यं॒ जिगी॑षमाणमि॒षऽआऽप॒दे गोः। य॒दा ते॒ मर्त्तो॒ऽअनु भोग॒मान॒डादिद् ग्रसि॑ष्ठ॒ऽओष॑धीरजीगः ॥१८ ॥

मन्त्र उच्चारण
पद पाठ

अत्र॑। ते॒। रू॒पम्। उ॒त्त॒ममित्यु॑त्ऽत॒मम्। अ॒प॒श्य॒म्। जिगी॑षमाणम्। इ॒षः। आ। प॒दे। गोः। य॒दा। ते॒। मर्त्तः॑। अनु॑। भोग॑म्। आन॑ट्। आत्। इत्। ग्रसि॑ष्ठः। ओष॑धीः। अ॒जी॒ग॒रित्य॑जीगः ॥१८ ॥

यजुर्वेद » अध्याय:29» मन्त्र:18


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हिन्दी - स्वामी दयानन्द सरस्वती

अब शूरवीर लोग क्या करें, इस विषय को अगले मन्त्र में कहा है ॥

पदार्थान्वयभाषाः - हे वीर पुरुष ! (ते) आप के (जिगीषमाणम्) शत्रुओं को जीतते हुए (उत्तमम्) उत्तम (रूपम्) रूप और (गोः) पृथिवी के (पदे) प्राप्त होने योग्य (अत्र) इस व्यवहार में (इषः) अन्नों के दानों को (आ, अपश्यम्) अच्छे प्रकार देखूँ (ते) आपका (मर्त्तः) मनुष्य (यदा) जब (भोगम्) भोग्य वस्तु को (आनट्) व्याप्त होता है, तब (आत्) (इत्) इसके अनन्तर ही (ग्रसिष्ठः) अति खानेवाले हुए आप (औषधीः) औषधियों को (अनु, अजीगः) अनुकूलता से भोगते हो ॥१८ ॥
भावार्थभाषाः - हे मनुष्यो ! जैसे उत्तम घोड़े आदि सेना के अङ्ग विजय करनेवाले हों, वैसे शूरवीर विजय के हेतु होकर भूमि के राज्य में भोगों को प्राप्त हों ॥१८ ॥
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संस्कृत - स्वामी दयानन्द सरस्वती

अथ शूरवीराः किं कुर्वन्त्वित्याह ॥

अन्वय:

(अत्र) अस्मिन् व्यवहारे। अत्र संहितायाम् [अ०६.३.११४] इति दीर्घः। (ते) तव (रूपम्) (उत्तमम्) (अपश्यम्) पश्येयम् (जिगीषमाणम्) शत्रून् विजयमानम् (इषः) अन्नानि (आ) समन्तात् (पदे) प्रापणीये (गोः) पृथिव्याः (यदा) (ते) तव (मर्त्तः) मनुष्यः (अनु) आनुकूल्ये (भोगम्) (आनट्) व्याप्नोति। आनडिति व्याप्तिकर्मा ॥ (निघ०२.१८) (आत्) अनन्तरम् (इत्) एव (ग्रसिष्ठः) अतिशयेन ग्रसिता (ओषधीः) (अजीगः) निगलसि ॥१८ ॥

पदार्थान्वयभाषाः - हे वीर ! ते जिगीषमाणमुत्तमं रूपं गोः पदेऽत्र इषश्चाऽऽपश्यं ते मर्त्तो यदा भोगमानट् तदाऽऽदिद् ग्रसिष्ठः संस्त्वमोषधीरन्वजीगः ॥१८ ॥
भावार्थभाषाः - हे मनुष्याः ! यथोत्तमानि पश्वादीनि सेनाङ्गानि विजयकराणि स्युस्तथा शूरवीरा विजयहेतवो भूत्वा भूमिराज्ये भोगान् प्राप्नुवन्तु ॥१८ ॥
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मराठी - माता सविता जोशी

(यह अनुवाद स्वामी दयानन्द सरस्वती जी के आधार पर किया गया है।)
भावार्थभाषाः - हे माणसांनो ! जसे सेनेचे उत्तम अंग असलेल्या घोड्यांमुळे विजय प्राप्त होतो तसे शूर वीरांनी विजय प्राप्त करण्यासाठी भूमीवरील भोग प्राप्त करावेत.