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धा॒नाः क॑र॒म्भः सक्त॑वः परीवा॒पः पयो॒ दधि॑। सोम॑स्य रू॒पꣳ ह॒विष॑ऽआ॒मिक्षा॒ वजि॑नं॒ मधु॑ ॥२१ ॥

मन्त्र उच्चारण
पद पाठ

धा॒नाः। क॒र॒म्भः। सक्त॑वः। प॒री॒वा॒प इति॑ परि॑ऽवा॒पः। पयः॑। दधि॑। सोम॑स्य। रू॒पम्। ह॒विषः॑। आ॒मिक्षा॑। वाजि॑नम्। मधु॑ ॥२१ ॥

यजुर्वेद » अध्याय:19» मन्त्र:21


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हिन्दी - स्वामी दयानन्द सरस्वती

कौन पदार्थ होम के योग्य हैं, इस विषय को अगले मन्त्र में कहा है ॥

पदार्थान्वयभाषाः - हे मनुष्यो ! तुम लोग (हविषः) होम करने योग्य (सोमस्य) यन्त्र द्वारा खींचने योग्य ओषधिरूप रस के (रूपम्) रूप को (धानाः) भुने हुए अन्न (करम्भः) मथन का साधन (सक्तवः) सत्तू (परीवापः) सब ओर से बीज का बोना (पयः) दूध (दधि) दही (आमिक्षा) दही, दूध, मीठे का मिलाया हुआ (वाजिनम्) प्रशस्त अन्नों को सम्बन्धी सार वस्तु और (मधु) सहत के गुण को जानो ॥२१ ॥
भावार्थभाषाः - जो पदार्थ पुष्टिकारक, सुगन्धयुक्त, मधुर और रोगनाशक गुणयुक्त हैं, वे होम करने के योग्य हविः संज्ञक हैं ॥२१ ॥
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संस्कृत - स्वामी दयानन्द सरस्वती

के पदार्था हविष्या इत्याह ॥

अन्वय:

(धानाः) भृष्टयवादयः (करम्भः) करोति मथनं येन सः (सक्तवः) (परीवापः) परितः सर्वतो वापो बीजारोपणं यस्मिन् सः (पयः) दुग्धम् (दधि) (सोमस्य) अभिषोतुमर्हस्य (रूपम्) (हविषः) होतुमर्हस्य (आमिक्षा) दधिदुग्धमिष्टैर्निर्मिता (वाजिनम्) वाजः प्रशस्तान्यन्नानि विद्यन्ते येषु तेषामिदं सारं वस्तु (मधु) मधुरम् ॥२१ ॥

पदार्थान्वयभाषाः - हे मनुष्याः ! यूयं हविषस्सोमस्य रूपं धानाः करम्भः सक्तवः परीवापः पयो दध्यामिक्षा वाजिनं मधु च विजानीत ॥२१ ॥
भावार्थभाषाः - ये पदार्थाः पुष्टिसुगन्धमधुररोगनाशकत्वगुणयुक्तास्सन्ति, ते हविःसंज्ञका सन्ति ॥२१ ॥
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मराठी - माता सविता जोशी

(यह अनुवाद स्वामी दयानन्द सरस्वती जी के आधार पर किया गया है।)
भावार्थभाषाः - जे पदार्थ पुष्टिकारक, सुगंधयुक्त मधुर व रोगनाशक गुणांनी युक्त असतात ते होम करण्यायोग्य (हविः संज्ञक) असतात.