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सं ते॒ पया॑सि समु॑ यन्तु॒ वाजाः॒ सं वृष्ण्या॑न्यभिमाति॒षाहः॑। आ॒प्याय॑मानोऽअ॒मृता॑य सोम दि॒वि श्रवा॑स्युत्त॒मानि॑ धिष्व ॥११३ ॥

मन्त्र उच्चारण
पद पाठ

सम्। ते॒। पया॑सि। सम्। ऊँ इत्यूँ॑। य॒न्तु॒। वाजाः॑। सम्। वृष्ण्या॑नि। अ॒भि॒मा॒ति॒षाहः॑। अ॒भि॒मा॒ति॒सह॒ इत्य॑भिमाति॒ऽसहः॑। आ॒प्याय॑मान॒ इत्या॒ऽप्याय॑मानः। अ॒मृता॑य। सो॒म॒। दि॒वि। श्रवा॑सि। उ॒त्त॒मानीत्यु॑त्ऽत॒मानि॑। धि॒ष्व॒ ॥११३ ॥

यजुर्वेद » अध्याय:12» मन्त्र:113


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हिन्दी - स्वामी दयानन्द सरस्वती

शरीर और आत्मा के बल से युक्त पुरुष किस को प्राप्त होते हैं, यह विषय अगले मन्त्र में कहा है ॥

पदार्थान्वयभाषाः - हे (सोम) शान्तियुक्त पुरुष ! जिस (ते) तुम्हारे लिये (पयांसि) जल वा दुग्ध (संयन्तु) प्राप्त होवें, (अभिमातिषाहः) अभिमानयुक्त शत्रुओं को सहनेवाले (वाजाः) धनुर्वेद के विज्ञान (सम्) प्राप्त होवें (उ) और (वृष्ण्यानि) पराक्रम (सम्) प्राप्त होवें, सो (आप्यायमानः) अच्छे प्रकार बढ़ते हुए आप (दिवि) प्रकाशस्वरूप ईश्वर में (अमृताय) मोक्ष के लिये (उत्तमानि, श्रवांसि) उत्तम श्रवणों को (धिष्व) धारण कीजिये ॥११३ ॥
भावार्थभाषाः - जो मनुष्य शरीर और आत्मा के बल को नित्य बढ़ाते हैं, वे योगाभ्यास से परमेश्वर में मोक्ष के आनन्द को प्राप्त होते हैं ॥११३ ॥
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संस्कृत - स्वामी दयानन्द सरस्वती

शरीरात्मबलयुक्ताः किमाप्नुवन्तीत्याह ॥

अन्वय:

(सम्) (ते) तुभ्यम् (पयांसि) जलानि दुग्धानि वा (सम्) (उ) (यन्तु) प्राप्नुवन्तु (वाजाः) धनुर्वेदबोधजा वेगाः (सम्) (वृष्ण्यानि) वीर्य्याणि (अभिमातिषाहः) येऽभिमातीनभिमानयुक्तान् शत्रून् सहन्ते निवारयन्ति (आप्यायमानः) समन्ताद् वर्धमानः (अमृताय) मोक्षसुखाय (सोम) ऐश्वर्य्ययुक्त (दिवि) द्योतनात्मके परमेश्वरे (श्रवांसि) अन्नानि श्रवणानि वा (उत्तमानि) (धिष्व) धत्स्व। [अयं मन्त्रः शत०७.३.१.४६ व्याख्यातः] ॥११३ ॥

पदार्थान्वयभाषाः - हे सोम ! यस्मै ते पयांसि संयन्त्वभिमातिषाहो वाजाः संयन्तु, वृष्ण्यानि संयन्तु, स आप्यायमानस्त्वं दिव्यमृतायोत्तमानि श्रवांसि धिष्व ॥११३ ॥
भावार्थभाषाः - ये मनुष्याः शरीरात्मबलं नित्यं वर्धयन्ति, ते योगाभ्यासेन परमात्मनि मोक्षानन्दं लभन्ते ॥११३ ॥
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मराठी - माता सविता जोशी

(यह अनुवाद स्वामी दयानन्द सरस्वती जी के आधार पर किया गया है।)
भावार्थभाषाः - जी माणसे शरीर व आत्मा यांचे बल सदैव वाढवितात ती योगाभ्यासाने परमेश्वर सान्निध्यात राहून मोक्षाचा आनंद प्राप्त करतात.