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ओष॑धयः॒ प्रति॑गृभ्णीत॒ पुष्प॑वतीः सुपिप्प॒लाः। अ॒यं वो॒ गर्भ॑ऽऋ॒त्वियः॑ प्र॒त्नꣳ स॒धस्थ॒मास॑दत् ॥४८ ॥

मन्त्र उच्चारण
पद पाठ

ओष॑धयः। प्रति॑। गृ॒भ्णी॒त॒। पुष्प॑वती॒रिति॒ पुष्प॑ऽवतीः। सु॒पि॒प्प॒ला इति॑ सुऽपिप्प॒लाः। अ॒यम्। वः॒। गर्भः॑। ऋ॒त्वियः॑। प्र॒त्नम्। स॒धस्थ॒मिति॑ स॒धऽस्थ॑म्। आ। अ॒स॒द॒त् ॥४८ ॥

यजुर्वेद » अध्याय:11» मन्त्र:48


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हिन्दी - स्वामी दयानन्द सरस्वती

स्त्रियों को क्या-क्या आचरण करना चाहिये, यह विषय अगले मन्त्र में कहा है ॥

पदार्थान्वयभाषाः - हे स्त्रियो ! तुम लोग जो (ओषधयः) सोमलता आदि ओषधि हैं जिन से (अयम्) यह (ऋत्वियः) ठीक ऋतु काल को प्राप्त हुआ (गर्भः) गर्भ (वः) तुम्हारे (प्रत्नम्) प्राचीन (सधस्थम्) नियत स्थान गर्भाशय को (आ असदत्) प्राप्त होवे उन (पुष्पवतीः) श्रेष्ठ पुष्पोंवाली (सुपिप्पलाः) सुन्दर फलों से युक्त ओषधियों को (प्रतिगृभ्णीत) निश्चय करके ग्रहण करो ॥४८ ॥
भावार्थभाषाः - माता-पिता को चाहिये कि अपनी कन्याओं को व्याकरण आदि शास्त्र पढ़ा के वैद्यक शास्त्र पढ़ावें, जिससे ये कन्या लोग रोगों का नाश और गर्भ का स्थापन करनेवाली ओषधियों को जान और अच्छे सन्तानों को उत्पन्न करके निरन्तर आनन्द भोगें ॥४८ ॥
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संस्कृत - स्वामी दयानन्द सरस्वती

स्त्रियोऽपि किं किमाचरेयुरित्याह ॥

अन्वय:

(ओषधयः) सोमादयः (प्रति) (गृभ्णीत) गृह्णीत (पुष्पवतीः) श्रेष्ठानि पुष्पाणि यासां ताः (सुपिप्पलाः) शोभनफलाः (अयम्) (वः) युष्माकम् (गर्भः) यासां ताः (ऋत्वियः) ऋतुः प्राप्तोऽस्य (प्रत्नम्) पुरातनम् (सधस्थम्) सहस्थानम् (आ) (असदत्) प्राप्नुयात्। [अयं मन्त्रः शत०६.४.४.१७ व्याख्यातः] ॥४८ ॥

पदार्थान्वयभाषाः - हे स्त्रियः ! यूयं या ओषधयः सन्ति, याभ्योऽयमृत्वियो गर्भो वः प्रत्नं सधस्थं गर्भाशयमासदत्, ताः पुष्पवतीः सुपिप्पला ओषधीः प्रति गृभ्णीत ॥४८ ॥
भावार्थभाषाः - मातापितृभ्यां कन्याभ्यो व्याकरणादिकमध्याप्य वैद्यकशास्त्रमप्यध्यापनीयम्। यत इमा आरोग्यकारिका गर्भसंपादिनीरोषधीर्विज्ञाय सुसन्तानान्युत्पाद्य सततं प्रमोदेरन् ॥४८ ॥
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मराठी - माता सविता जोशी

(यह अनुवाद स्वामी दयानन्द सरस्वती जी के आधार पर किया गया है।)
भावार्थभाषाः - आई-वडिलांनी आपल्या मुलींना व्याकरण इत्यादी शास्त्र शिकवून वैद्यकशास्रही शिकवावे. ज्यामुळे त्यांना रोगांचा नाश करण्याचे व गर्भ स्थापन करणाऱ्या औषधांचे ज्ञान व्हावे आणि चांगल्या संतानांना जन्म देऊन सदैव आनंद भोगता यावा.