वांछित मन्त्र चुनें

स मृ॑ज्यते सु॒कर्म॑भिर्दे॒वो दे॒वेभ्य॑: सु॒तः । वि॒दे यदा॑सु संद॒दिर्म॒हीर॒पो वि गा॑हते ॥

अंग्रेज़ी लिप्यंतरण

sa mṛjyate sukarmabhir devo devebhyaḥ sutaḥ | vide yad āsu saṁdadir mahīr apo vi gāhate ||

पद पाठ

सः । मृ॒ज्य॒ते॒ । सु॒कर्म॑ऽभिः । दे॒वः । दे॒वेभ्यः॑ । सु॒तः । वि॒दे । यत् । आ॒सु॒ । स॒म्ऽद॒दिः । म॒हीः । अ॒पः । वि । गा॒ह॒ते॒ ॥ ९.९९.७

ऋग्वेद » मण्डल:9» सूक्त:99» मन्त्र:7 | अष्टक:7» अध्याय:4» वर्ग:26» मन्त्र:2 | मण्डल:9» अनुवाक:6» मन्त्र:7


0 बार पढ़ा गया

आर्यमुनि

पदार्थान्वयभाषाः - (सः) पूर्वोक्त परमात्मा (देवः) देव (देवेभ्यः) जो विद्वानों के लिये (सुतः) स्तुत किया गया है, वह (यत्) जब (विदे) साक्षात्कार किया जाता है, तब कर्मयोगी पुरुष (आसु) प्रजाओं में (संददिः) सम्यक् धनों का प्रदाता होता है और तब (महीः, अपः) बड़े-बड़े कर्मों की विपत्तियों को (विगाहते) तैर जाता है ॥७॥
भावार्थभाषाः - कर्मयोगी, जो परमात्मोपासक है, वह सब बलों का आश्रय हो सकता है ॥७॥
0 बार पढ़ा गया

हरिशरण सिद्धान्तालंकार

महान् कर्मों का अवगाहन

पदार्थान्वयभाषाः - (सः) = वह सोम (सुकर्मभिः) = उत्तम कर्मों में लगे हुए पुष्पों से (मृज्यते) = शुद्ध किया जाता है । कर्मों में लगे रहना ही हमें वासनाओं से बचाता है, और इस प्रकार सोमरक्षण का साधन हो जाता है । (देवः) = यह प्रकाशमय सोम (देवेभ्यः सुतः) = दिव्य गुणों की उत्पत्ति के लिये उत्पन्न किया गया है । यह सोम (यद्) = जब (आसु) = इन प्रजाओं में (सन्ददिः) = सम्यक् शक्ति व ज्ञान का देनेवाला (विदे) = जाना जाता है, तो यह सोम (महीः अपः) = महत्त्वपूर्ण कर्मों का (विगाहते) = अवगाहन करता है । सोमरक्षक पुरुष महत्त्वपूर्ण कर्मों का करनेवाला होता है ।
भावार्थभाषाः - भावार्थ- उत्तम कर्मों में लगे रहने से ही सोम का रक्षण होता है। सोमरक्षक शक्ति व ज्ञान को प्राप्त करके महान् कर्मों को करनेवाला होता है ।
0 बार पढ़ा गया

आर्यमुनि

पदार्थान्वयभाषाः - (सः) स परमात्मा (देवः) दिव्यकर्मा (देवेभ्यः, सुतः) यो विद्वद्भ्यः स्तुतः सः (यत्) यदा (विदे) साक्षात्क्रियते तदा कर्मयोगी (आसु) आसु प्रजासु (संददिः) सम्यग्धनस्य प्रदाता भवति, तदैव (महीः, अपः) महतीः कर्मविपत्तीः (वि गाहते) पारयति ॥७॥
0 बार पढ़ा गया

डॉ. तुलसी राम

पदार्थान्वयभाषाः - That divine, refulgent and generous Soma, realised by sages of holy action for noble humanity, is celebrated and glorified in the human world, and when it is known as the sole giver of every thing among these people, then it releases mighty floods of living waters for life sustenance.