अ॒यं सोम॑: कप॒र्दिने॑ घृ॒तं न प॑वते॒ मधु॑ । आ भ॑क्षत्क॒न्या॑सु नः ॥
अंग्रेज़ी लिप्यंतरण
मन्त्र उच्चारण
ayaṁ somaḥ kapardine ghṛtaṁ na pavate madhu | ā bhakṣat kanyāsu naḥ ||
पद पाठ
अ॒यम् । सोमः॑ । क॒प॒र्दिने॑ । घृ॒तम् । न । प॒व॒ते॒ । मधु॑ । आ । भ॒क्ष॒त् । क॒न्या॑सु । नः॒ ॥ ९.६७.११
ऋग्वेद » मण्डल:9» सूक्त:67» मन्त्र:11
| अष्टक:7» अध्याय:2» वर्ग:15» मन्त्र:1
| मण्डल:9» अनुवाक:3» मन्त्र:11
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आर्यमुनि
पदार्थान्वयभाषाः - (अयं सोमः) पूर्वोक्त परमात्मा (कपर्दिने) कर्मयोगी को (घृतं) अपने प्रेम से (मधु न) मधु के समान (पवते) मधुर बनाता है और (नः) हम लोगों को (कन्यासु) कमनीय पदार्थों में (आ भक्षत्) ग्रहण करता है ॥११॥
भावार्थभाषाः - परमात्मा कर्मयोगियों को कमनीय पदार्थों का प्रदान करता है ॥११॥
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हरिशरण सिद्धान्तालंकार
आभक्षत् कन्यासु नः
पदार्थान्वयभाषाः - [१] 'कपर्दी' शब्द का अर्थ है 'कस्य परा [ पूरणेन] दायति' मस्तिष्क के पूरण से जो अपना शोधन करता है, मस्तिष्क को ज्ञान से परिपूर्ण करता हुआ जीवन को जो शुद्ध बनाता है, उस कपर्दिने कपर्दी के लिये (अयं सोमः) = यह सोम (घृतं न) = घृत के समान (मधु पवते) = मधु को भी प्राप्त कराता है। सुरक्षित सोम ज्ञानदीप्ति [घृ दीप्तौ] का कारण बनता है और जीवन में माधुर्य को भर देता है । [२] इस प्रकार यह सोम (नः) = हमें (कन्यासु) = सब दीप्तियों में (आभक्षत्) = भागी बनाये ।
भावार्थभाषाः - भावार्थ- ज्ञान को ही अपना ध्येय बना लेने पर हम सोम का रक्षण कर पाते हैं। यह हमें ज्ञान दीप्ति व माधुर्य को प्राप्त कराता है ।
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आर्यमुनि
पदार्थान्वयभाषाः - (अयं सोमः) प्रागुक्तः परमेश्वरः (कपर्दिने) कर्मयोगिने (घृतम्) स्वप्रेम्णा (मधु न) मधुवत् (पवते) मधुरयति। अथ च (नः) अस्मान् (कन्यासु) कमनीयपदार्थेषु (आभक्षत्) गृह्णाति ॥११॥
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डॉ. तुलसी राम
पदार्थान्वयभाषाः - May this honey sweet soma ecstasy of divinity flow and bless the veteran scholar as well as the fresh graduate as ghrta flows to the vedi in yajna, and inspire us too to join the scholars with absolute dedication and commitment in our cherished pursuits of knowledge, research and advancement.
