पव॑स्व ज॒नय॒न्निषो॒ऽभि विश्वा॑नि॒ वार्या॑ । सखा॒ सखि॑भ्य ऊ॒तये॑ ॥
अंग्रेज़ी लिप्यंतरण
मन्त्र उच्चारण
pavasva janayann iṣo bhi viśvāni vāryā | sakhā sakhibhya ūtaye ||
पद पाठ
पव॑स्व । ज॒नय॑न् । इषः॑ । अ॒भि । विश्वा॑नि । वार्या॑ । सखा॑ । सखि॑ऽभ्यः । ऊ॒तये॑ ॥ ९.६६.४
ऋग्वेद » मण्डल:9» सूक्त:66» मन्त्र:4
| अष्टक:7» अध्याय:2» वर्ग:7» मन्त्र:4
| मण्डल:9» अनुवाक:3» मन्त्र:4
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आर्यमुनि
पदार्थान्वयभाषाः - हे परमात्मन् ! (विश्वानि) सब पदार्थ (वार्या) वरणीय (अभि) सब ओर से आप हमें दें और (इषः) ऐश्वर्य को (जनयन्) पैदा करते हुए (पवस्व) आप हमको पवित्र करें (सखिभ्यः) मित्रों की (ऊतये) रक्षा के लिए (सखा) आप मित्र हैं ॥४॥
भावार्थभाषाः - जो लोग परमात्मपरायण होते हैं, परमात्मा उन्हें सब प्रकार के आनन्दों से विभूषित करता है ॥४॥
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हरिशरण सिद्धान्तालंकार
ऊतये
पदार्थान्वयभाषाः - [१] हे सोम ! तू (इषः) = प्रभु प्रेरणाओं को (जनयन्) = हृदय की पवित्रता के द्वारा प्रादुर्भूत करता हुआ (विश्वानि वार्या) = सब वरणीय वस्तुओं को (अभिपवस्व) = आभिमुख्येन प्राप्त करानेवाला हो । सोम ही शरीर के सब कोशों के ऐश्वर्यों को प्राप्त कराता है । [२] तू (सखिभ्यः सखा) = सखाओं के लिये सखा होता है जो सोम का रक्षण करते हैं, सोम उनका रक्षण करता है। यह ऊतये उनको रोगों व वासनाओं के आक्रमण से बचानेवाला होता है ।
भावार्थभाषाः - भावार्थ - यह सोम [१] हृदय को पवित्र करके हमें प्रभु प्रेरणाओं को सुनाता है, [२] सब वरणीय तेज आदि धनों को प्राप्त कराता है, [३] हमारा रक्षक है।
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आर्यमुनि
पदार्थान्वयभाषाः - हे जगदीश्वर ! (विश्वानि) सर्वे पदार्थाः (वार्या) ये वरणीयास्सन्ति (अभि) तान्मह्यमभिदेहि। अथ च (इषः) ऐश्वर्यम् (जनयन्) उत्पादयन् (पवस्व) अस्मान् पवित्रयतु। (सखिभ्यः) मित्राणां (ऊतये) रक्षायै (सखा) मित्रमसि ॥४॥
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डॉ. तुलसी राम
पदार्थान्वयभाषाः - Flow on, pure and purifying, friend of friends, and flow for their protection, creating food, energy and all cherished means of sustenance for the world.
