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पु॒ना॒नो वरि॑वस्कृ॒ध्यूर्जं॒ जना॑य गिर्वणः । हरे॑ सृजा॒न आ॒शिर॑म् ॥

अंग्रेज़ी लिप्यंतरण

punāno varivas kṛdhy ūrjaṁ janāya girvaṇaḥ | hare sṛjāna āśiram ||

मन्त्र उच्चारण
पद पाठ

पु॒ना॒नः । वरि॑वः । कृ॒धि॒ । ऊर्ज॑म् । जना॑य । गि॒र्व॒णः॒ । हरे॑ । सृ॒जा॒नः । आ॒ऽशिर॑म् ॥ ९.६४.१४

ऋग्वेद » मण्डल:9» सूक्त:64» मन्त्र:14 | अष्टक:7» अध्याय:1» वर्ग:38» मन्त्र:4 | मण्डल:9» अनुवाक:3» मन्त्र:14


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आर्यमुनि

पदार्थान्वयभाषाः - (हरे) हे दुष्टों की शक्तियों को हरनेवाले परमात्मन् ! आप हमको (वरिवः) ऐश्वर्यसम्पन्न करें। (गिवर्णः) आप वैदिक वाणियों द्वारा उपासना करने योग्य हैं और (पुनानः) पवित्र करनेवाले हैं। आप संसार के लिये (आशिरम्) मङ्गल (सृजानः) करते हुए (जनाय) अपने भक्त के लिये (ऊर्जम्) बल (कृधि) करें ॥१४॥
भावार्थभाषाः - परमात्मा दुष्टों की शक्तियों को हर लेता है और श्रेष्ठों को अभ्युदय दे करके बढ़ाता है ॥
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हरिशरण सिद्धान्तालंकार

वरिवः - ऊर्जम्

पदार्थान्वयभाषाः - [१] (पुनानः) = पवित्र किये जाते हुए सोम ! तू (जनाय) = इस शक्ति विकास में तत्पर मनुष्य के लिये (वरिवः) = धन को (कृधि) = कर यह तेरा रक्षण करनेवाला व्यक्ति अन्नमय आदि सब कोशों के ऐश्वर्य को प्राप्त करे। हे (गिर्वणः) = इन ज्ञान की वाणियों का सेवन करनेवाले सोम ! तू (ऊर्जम्) = बल व प्राणशक्ति को करनेवाला हो। [२] हरे सब रोगों का हरण करनेवाले सोम ! तू (आशिरम्) = समन्तात् वासनाओं के हिंसन को (सृजान:) = उत्पन्न कर। वासनाओं का तू संहार करनेवाला हो ।
भावार्थभाषाः - भावार्थ - पवित्र किया जाता हुआ सोम [वीर्य] हमारे लिये सब कोशों के ऐश्वर्य तथा बल व प्राणशक्ति को करनेवाला हो ।
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आर्यमुनि

पदार्थान्वयभाषाः - (हरे) दुष्टशक्तिहारिन् हे परमात्मन् ! भवान् मां (वरिवः) ऐश्वर्यवन्तं करोतु। (गिर्वणः) भवान् वेदवाण्युपासनीयोऽस्ति। अथ च (पुनानः) पवितास्ति। भवान् लोकस्य (आशिरम्) मङ्गलं (सृजानः) कुर्वन् (जनाय) स्वभक्ताय (ऊर्जम्) बलं (कृधि) करोतु ॥१४॥
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डॉ. तुलसी राम

पदार्थान्वयभाषाः - Pure and purifying, adorable, adored and exalted, saviour from sin and evil, want and suffering, create the best of wealth, energy and ecstasy for humanity, giving all round joy and well being for body, mind and soul.