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सु॒त इन्द्रा॑य॒ विष्ण॑वे॒ सोम॑: क॒लशे॑ अक्षरत् । मधु॑माँ अस्तु वा॒यवे॑ ॥

अंग्रेज़ी लिप्यंतरण

suta indrāya viṣṇave somaḥ kalaśe akṣarat | madhumām̐ astu vāyave ||

मन्त्र उच्चारण
पद पाठ

सु॒तः । इन्द्रा॑य । विष्ण॑वे । सोमः॑ । क॒लशे॑ । अ॒क्ष॒र॒त् । मधु॑ऽमान् । अ॒स्तु॒ । वा॒यवे॑ ॥ ९.६३.३

ऋग्वेद » मण्डल:9» सूक्त:63» मन्त्र:3 | अष्टक:7» अध्याय:1» वर्ग:30» मन्त्र:3 | मण्डल:9» अनुवाक:3» मन्त्र:3


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आर्यमुनि

पदार्थान्वयभाषाः - हे परमात्मन् ! (सुतः सोमः) साधनों से सिद्ध किया हुआ सौम्यस्वभाव (इन्द्राय) ज्ञानयोगी के लिये (विष्णवे) जो बहुव्यापक है (वायवे) कर्मयोगी के लिये (मधुमान् अस्तु) सुशीलतायुक्त माधुर्यादि भावों को देनेवाला हो और (कलशे) उनके अन्तःकरणों में (अक्षरत्) सदैव प्रवाहित होता रहे ॥३॥
भावार्थभाषाः - इस मन्त्र में परमात्मा ने सर्वोपरि शील की शिक्षा दी है कि हे पुरुषों ! तुम अपने अन्तःकरण को शुद्ध बनाओ, ताकि तुमारा अन्तःकरण धृत्यादि धर्म के लक्षणों को धारण करके राजधर्म के धारण के योग्य बने ॥३॥
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हरिशरण सिद्धान्तालंकार

'इन्द्र, विष्णु व वायु' के द्वारा सोमरक्षण

पदार्थान्वयभाषाः - [१] (सुतः सोमः) = उत्पन्न हुआ हुआ सोम (इन्द्राय विष्णवे) = इन्द्र व विष्णु के लिये (कलशे अक्षरत्) = शरीर में ही गतिवाला होता है । इन्द्र का भाव है 'जितेन्द्रिय' तथा विष्णु का भाव है 'व्यापक [उदार] हृदयवाला' यज्ञशील। जो जितेन्द्रिय व यज्ञशील बनता है, वही सोम को शरीर में सुरक्षित कर पाता है । [२] यह सोम (वायवे) = [वा गतौ] गतिशील पुरुष के लिये (मधुमान् अस्तु) = अत्यन्त माधुर्यवाला हो। गतिशील व्यक्ति के जीवन में सुरक्षित हुआ हुआ सोम उसके जीवन को मधुर बनाता है ।
भावार्थभाषाः - भावार्थ-=हम 'जितेन्द्रिय, यज्ञशील व गतिशील' बनकर सोम को सुरक्षित कर पाते हैं । यह हमारे जीवन को मधुर बनाता है।
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आर्यमुनि

पदार्थान्वयभाषाः - हे जगदीश्वर ! (सुतः सोमः) साधनैः सिद्धः सौम्यस्वभावः (इन्द्राय) ज्ञानयोगिने (विष्णवे) बहुव्यापकाय (वायवे) कर्मयोगिने (मधुमान् अस्तु) सुशीलमाधुर्यादिभावप्रदातास्तु। अथ च (कलशे) तेषामन्तःकरणेषु (अक्षरत्) निरन्तरं प्रवाहितो भवतु ॥३॥
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डॉ. तुलसी राम

पदार्थान्वयभाषाः - Let that soma, plenteous overflow of peace, prosperity and joy, created, distilled and purified, roll in minds and human communities and be as sweet as honey for Indra, leaders of knowledge and power, Vishnu, generality of people all over the globe, and Vayu, vibrant powers of progress and pioneers of constant advancement in every field of activity.