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पव॑मानास आ॒शव॑: शु॒भ्रा अ॑सृग्र॒मिन्द॑वः । घ्नन्तो॒ विश्वा॒ अप॒ द्विष॑: ॥

अंग्रेज़ी लिप्यंतरण

pavamānāsa āśavaḥ śubhrā asṛgram indavaḥ | ghnanto viśvā apa dviṣaḥ ||

मन्त्र उच्चारण
पद पाठ

पव॑मानासः । आ॒शवः॑ । शु॒भ्राः । अ॒सृ॒ग्र॒म् । इन्द॑वः । घ्नन्तः॑ । विश्वाः॑ । अप॑ । द्विषः॑ ॥ ९.६३.२६

ऋग्वेद » मण्डल:9» सूक्त:63» मन्त्र:26 | अष्टक:7» अध्याय:1» वर्ग:35» मन्त्र:1 | मण्डल:9» अनुवाक:3» मन्त्र:26


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आर्यमुनि

पदार्थान्वयभाषाः - (अपद्विषः) अनुचित द्वेषियों को (घ्नन्तः) नाश करते हुए (पवमानासः) देश को पवित्र करनेवाले शूरवीर (आशवः) अति शीघ्रता करनेवाले (शुभ्राः) सुन्दर (इन्दवः) ऐश्वर्यशाली (विश्वाः असृग्रं) सब प्रकार के एश्वर्यों को उत्पन्न करते हैं ॥२६॥
भावार्थभाषाः - परमात्मा उपदेश करता है कि जो शूरवीर अन्यायकारी दुष्टों को दमन करते हैं, वे देश के लिये अनन्त प्रकार के ऐश्वर्य को उत्पन्न करते हैं ॥२६॥
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हरिशरण सिद्धान्तालंकार

'पवित्र - शुभ्र - निर्देष' जीवन

पदार्थान्वयभाषाः - [१] (पवमानासः) = हमारे जीवनों को पवित्र करनेवाले, (आशवः) = हमें शीघ्रता व स्फूर्ति से व्याप्त करनेवाले, (शुभ्रा:) = दीप्त, (इन्दवः) = हमें शक्तिशाली बनानेवाले ये सोमकण (असृग्रम्) = उत्पन्न किये जाते हैं । [२] ये सोमकण (विश्वाः) = सब (द्विषः) = द्वेष की भावनाओं को (अपघ्नन्तः) = हमारे से सुदूर विनष्ट करते हैं।
भावार्थभाषाः - भावार्थ- सुरक्षित सोम हमें 'पवित्र, शुभ्र, निर्देष' जीवनवाला करते हैं ।
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आर्यमुनि

पदार्थान्वयभाषाः - (अपद्विषः) मत्सरान् (घ्नन्तः) नाशयन् (पवमानासः) देशपवितारः शूरवीरादयः (आशवः) अतिशीघ्रकारिणः (शुभ्राः) सुन्दराङ्गाः (इन्दवः) ऐश्वर्यशालिनः (विश्वाः असृग्रम्) सर्वविधैश्वर्याणि उत्पादयन्ति ॥२६॥
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डॉ. तुलसी राम

पदार्थान्वयभाषाः - Pure and purifying, instant and effective, bright and blazing streams of soma like warriors of nature flow and advance in action, creating peace and plenty for life, dispelling and eliminating all jealous and destructive forces from society.