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प्र सो॑म॒ मधु॑मत्तमो रा॒ये अ॑र्ष प॒वित्र॒ आ । मदो॒ यो दे॑व॒वीत॑मः ॥

अंग्रेज़ी लिप्यंतरण

pra soma madhumattamo rāye arṣa pavitra ā | mado yo devavītamaḥ ||

मन्त्र उच्चारण
पद पाठ

प्र । सो॒म॒ । मधु॑मत्ऽतमः । रा॒ये । अ॒र्ष॒ । प॒वित्रे॑ । आ । मदः॑ । यः । दे॒व॒ऽवीत॑मः ॥ ९.६३.१६

ऋग्वेद » मण्डल:9» सूक्त:63» मन्त्र:16 | अष्टक:7» अध्याय:1» वर्ग:33» मन्त्र:1 | मण्डल:9» अनुवाक:3» मन्त्र:16


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आर्यमुनि

पदार्थान्वयभाषाः - (सोम) हे परमेश्वर ! आपका (यः) जो (मदः) रस (मधुमत्तमः) अत्यन्त स्वादु तथा (देववीतमः) दिव्यस्वरूप है, उसको (राये) हमारे ऐश्वर्य के लिये (पवित्रे) पवित्रान्तःकरणों में (प्रार्ष) प्राप्त कराइये ॥१६॥
भावार्थभाषाः - जो पुरुष परमात्मा के आनन्द का अनुसन्धान करते हैं अर्थात् परमात्मा को ध्येय बनाकर उसके आह्लाद से आह्लादित होते हैं, वे सब प्रकार से अभ्युदय के पात्र होते हैं ॥१६॥
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हरिशरण सिद्धान्तालंकार

माधुर्य-उल्लास - दिव्यता

पदार्थान्वयभाषाः - [१] हे (सोम) = वीर्यशक्ते ! तू (पवित्रे) = पवित्र हृदयवाले पुरुष में राये सब ऐश्वर्यों की प्राप्ति के लिये, अन्नमय आदि कोशों को तेज आदि सम्पत्तियों से परिपूर्ण करने के लिये (आ प्र अर्ष) = शरीर में समन्तात् प्राप्त हो । रुधिर के साथ सारे शरीर में ही तेरा व्यापन हो । [२] वह तू हमें प्राप्त हो, (यः) = जो कि (मधुमत्तमः) = जीवन को अत्यन्त मधुर बनानेवाला है। (मदः) = उल्लास का जनक है और (देववीतमः) = अधिक से अधिक दिव्य गुणों को उत्पन्न करनेवाला है।
भावार्थभाषाः - भावार्थ- शरीर में सुरक्षित सोम हमें 'माधुर्य, उल्लास व दिव्यता' को प्राप्त कराता है।
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आर्यमुनि

पदार्थान्वयभाषाः - (सोम) हे जगन्नियन्तः ! भावत्कः (यः) यः (मदः) रसः (मधुमत्तमः) अतिस्वादुरस्ति तथा (देववीतमः) दिव्यस्वरूपस्तं रसं (राये) अस्मदैश्वर्याय (पवित्रे) शुद्धान्तःकरणेषु (प्रार्ष) प्रापयतु ॥१६॥
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डॉ. तुलसी राम

पदार्थान्वयभाषाः - O Soma, lord of peace and bliss, let the highest joy, the best of honey sweets, most exhilarating and most divinely blest, flow free to the pure and pious soul of the celebrant for the sake of wealth, honour and excellence of life’s fulfilment.