आ प॑वस्व मदिन्तम प॒वित्रं॒ धार॑या कवे । अ॒र्कस्य॒ योनि॑मा॒सद॑म् ॥
अंग्रेज़ी लिप्यंतरण
मन्त्र उच्चारण
ā pavasva madintama pavitraṁ dhārayā kave | arkasya yonim āsadam ||
पद पाठ
आ । प॒व॒स्व॒ । म॒दि॒न्ऽत॒म॒ । प॒वित्र॑म् । धार॑या । क॒वे॒ । अ॒र्कस्य॑ । योनि॑म् । आ॒ऽसद॑म् ॥ ९.५०.४
ऋग्वेद » मण्डल:9» सूक्त:50» मन्त्र:4
| अष्टक:7» अध्याय:1» वर्ग:7» मन्त्र:4
| मण्डल:9» अनुवाक:2» मन्त्र:4
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आर्यमुनि
पदार्थान्वयभाषाः - (अर्कस्य योनिमासदम्) तेज की योनि को प्राप्त होने के लिये अर्थात् तेजस्वी बनने के लिये (मदिन्तम) हे आनन्द के बढ़ानेवाले ! (कवे) हे वेदरूप काव्य के रचनेवाले ! (धारया) अपनी ज्ञान की धारा से (पवित्रम् आपवस्व) मेरे अन्तःकरण को पवित्र करिये ॥४॥
भावार्थभाषाः - परमात्मा ही अपने ज्ञानप्रदीप से उपासकों के हृदयरूपी मन्दिर को प्रकाशित करता है ॥४॥
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हरिशरण सिद्धान्तालंकार
मदिन्तम कवि
पदार्थान्वयभाषाः - [१] हे (मदिन्तम) = अत्यन्त हर्ष को देनेवाले सोम! (आपवस्व) = तू हमें समन्तात् पवित्र कर । हे (कवे) = क्रान्तदर्शिन् ! बुद्धि को सूक्ष्म बनानेवाले सोम ! (पवित्रम्) = पवित्र हृदयवाले पुरुष का (धारया) = तू धारण कर । पवित्र हृदयवाले पुरुष में ही सोम का रक्षण होता है। रक्षित सोम उसका धारण करता है । सोम हमारा रक्षण इस प्रकार करता है कि यह हमारे ज्ञान को दीप्त करता है। [२] यह सोम अर्कस्य उस अर्चनीय प्रभु के (योनिम्) = स्थान को (आसदम्) = आसीन होने के लिये होता है । अर्थात् सुरक्षित सोम हमें प्रभु को प्राप्त करानेवाला होता है ।
भावार्थभाषाः - भावार्थ- सुरक्षित सोम हमें आनन्द को प्राप्त कराता है। ज्ञान को यह बढ़ानेवाला है । अन्ततः यह हमें ब्रह्मलोक में आसीन करता है।
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आर्यमुनि
पदार्थान्वयभाषाः - (अर्कस्य योनिमासदम्) तेजस्विनां योनिं प्राप्तुं तेजस्वी भवनायेति यावत् (मदिन्तम) हे आनन्दवर्धक (कवे) हे वेदरूपकाव्यरचयितः ! (धारया) स्वज्ञानधारया (पवित्रम् आपवस्व) ममान्तःकरणं पवित्रय ॥४॥
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डॉ. तुलसी राम
पदार्थान्वयभाषाः - Flow in and purify, O poetic visionary and most exhilarating Spirit of ecstasy, the sacred heart of the celebrant in streams of beauty, light and sweetness to join the celebrant at the centre of his faith and devotion.
