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तव॒ क्रत्वा॒ तवो॒तिभि॒र्ज्योक्प॑श्येम॒ सूर्य॑म् । अथा॑ नो॒ वस्य॑सस्कृधि ॥

अंग्रेज़ी लिप्यंतरण

tava kratvā tavotibhir jyok paśyema sūryam | athā no vasyasas kṛdhi ||

मन्त्र उच्चारण
पद पाठ

तव॑ । क्रत्वा॑ । तव॑ । ऊ॒तिऽभिः॑ । ज्योक् । प॒श्ये॒म॒ । सूर्य॑म् । अथ॑ । नः॒ । वस्य॑सः । कृ॒धि॒ ॥ ९.४.६

ऋग्वेद » मण्डल:9» सूक्त:4» मन्त्र:6 | अष्टक:6» अध्याय:7» वर्ग:23» मन्त्र:1 | मण्डल:9» अनुवाक:1» मन्त्र:6


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आर्यमुनि

पदार्थान्वयभाषाः - हे परमात्मन् ! हम (तव क्रत्वा) आपके कर्मयोग (तव ऊतिभिः) और ज्ञानयोग द्वारा सदैव (सूर्यम्) आपके प्रकाशस्वरूप को (ज्योक्) निरन्तर (पश्येम) अनुभव करें (अथ) और (नः) हमारे (वस्यसः) कल्याण को (कृधि) करिये ॥६॥
भावार्थभाषाः - ज्ञानयोगी तथा कर्मयोगी पुरुष अपने आत्मभूत सामर्थ्य से परमात्मा के स्वरूप का अनुभव करके सदैव आनन्द का लाभ करते हैं ॥६॥
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हरिशरण सिद्धान्तालंकार

दीर्घकाल तक सूर्य - दर्शन

पदार्थान्वयभाषाः - [१] ये सोम ! (तव क्रत्वा) = तेरे द्वारा उत्पन्न प्रज्ञान से तथा (तव) तेरे द्वारा की गई (ऊतिभिः) = रक्षाओं से हम (ज्योक्) = दीर्घकाल तक (सूर्यं पश्येम) = सूर्य को देखनेवाले बनें। अर्थात् दीर्घजीवनवाले बनें। सूर्य दर्शन से शीघ्र ही वञ्चित न हो जायें। [२] (अथा) = अब प्रज्ञान व रक्षण को प्राप्त कराके (न:) = हमें (वस्यसः) = उत्कृष्ट जीवनवाला (कृधि) = करिये ।
भावार्थभाषाः - भावार्थ- हम सोमरक्षण द्वारा ज्ञान व नीरोगता को प्राप्त करके दीर्घजीवनवाले हों ।
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आर्यमुनि

पदार्थान्वयभाषाः - हे परमात्मन् ! (तव, क्रत्वा) वयं तव ज्ञानयोगद्वारेण (तव, ऊतिभिः) कर्मयोगद्वारेण च (ज्योक्) शश्वत् (सूर्यम्) भवतः प्रकाशरूपम् (पश्येम) अनुभवेम (अथ) अथ च (नः) अस्माकं (वस्यसः) कल्याणं (कृधि) कुरु ॥६॥
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डॉ. तुलसी राम

पदार्थान्वयभाषाः - By your noble actions, O spirit of peace and piety, and by your protections and promotions, bless us that we may ever see and internalise the eternal light of the sun, and thus make us happy and prosperous more and ever more.