वांछित मन्त्र चुनें

स विश्वा॑ दा॒शुषे॒ वसु॒ सोमो॑ दि॒व्यानि॒ पार्थि॑वा । पव॑ता॒मान्तरि॑क्ष्या ॥

अंग्रेज़ी लिप्यंतरण

sa viśvā dāśuṣe vasu somo divyāni pārthivā | pavatām āntarikṣyā ||

मन्त्र उच्चारण
पद पाठ

सः । विश्वा॑ । दा॒शुषे॑ । वसु॑ । सोमः॑ । दि॒व्यानि॑ । पार्थि॑वा । पव॑ताम् । आ । अ॒न्तरि॑क्ष्या ॥ ९.३६.५

ऋग्वेद » मण्डल:9» सूक्त:36» मन्त्र:5 | अष्टक:6» अध्याय:8» वर्ग:26» मन्त्र:5 | मण्डल:9» अनुवाक:2» मन्त्र:5


0 बार पढ़ा गया

आर्यमुनि

पदार्थान्वयभाषाः - (सः सोमः) वह सौम्यस्वभाववाले आप (दाशुषे) अपने उपासक के लिये (दिव्यानि) दिव्य (अन्तरिक्ष्या) अन्तरिक्ष में होनेवाले तथा (पार्थिवानि) पृथ्वीलोक में होनेवाले (विश्वा वसु) सम्पूर्ण रत्नादि ऐश्वर्यों को (आपवताम्) दीजिये ॥५॥
भावार्थभाषाः - जो लोग अपने स्वभाव को सौम्य बनाते हैं अर्थात् ईश्वर के गुण-कर्म-स्वभाव को लक्ष्य रखकर अपने गुण-कर्म-स्वभाव को भी उसी प्रकार का पवित्र बानाते हैं, वे सब ऐश्वर्यों को प्राप्त होते हैं ॥५॥
0 बार पढ़ा गया

हरिशरण सिद्धान्तालंकार

'दिव्य, पार्थिव आन्तरिक्ष्य' वसु

पदार्थान्वयभाषाः - [१] (सः सोमः) = वह सोम [वीर्य] (दाशुषे) = दाश्वान् पुरुष के लिये, सोम के लिये अपना अर्पण करनेवाले पुरुष के लिये, सब प्रकार से सोमरक्षण में प्रवृत्त पुरुष के लिये, (विश्वा) = सब (दिव्यानि) = द्युलोक के साथ सम्बद्ध, (पार्थिवा) = पृथिवीलोक के साथ सम्बद्ध तथा (आन्तरिक्ष्या) = अन्तरिक्षलोक के साथ सम्बद्ध (वसु) = वसुओं को (पवताम्) = प्राप्त कराये। [२] शरीर में मस्तिष्क ही द्युलोक है । द्युलोक सम्बद्ध वसु 'ज्ञान' है । अन्तरिक्ष 'हृदय' है। हृदय सम्बद्ध वसु 'पवित्रता व भक्ति' है। यह शरीर ही पृथिवी है। इसके साथ सम्बद्ध वसु 'शक्ति' है। सुरक्षित हुआ-हुआ सोम हमें 'ज्ञान, पवित्रता व शक्ति' सब वसुओं को प्राप्त कराता है ।
भावार्थभाषाः - भावार्थ - यदि हम पूर्ण प्रयत्न से सोम का रक्षण करते हैं तो यह हमें ज्ञानदीप्त मस्तिष्कवाला, पवित्र व भक्ति-सम्पन्न हृदयवाला तथा शक्ति सम्पन्न शरीरवाला बनाता है।
0 बार पढ़ा गया

आर्यमुनि

पदार्थान्वयभाषाः - (सः सोमः) स सौम्यो भवान् (दाशुषे) स्वभक्ताय (दिव्यानि) दिव्यानि (अन्तरिक्ष्या) अन्तरिक्षोद्भवानि तथा (पार्थिवानि) भौमानि (विश्वा वसु) सर्वाणि रत्नाद्यैश्वर्याणि (आपवताम्) ददातु ॥५॥
0 बार पढ़ा गया

डॉ. तुलसी राम

पदार्थान्वयभाषाः - May Soma, we pray, purify and set aflow all wealth, honour and excellence of the world, earthly, heavenly and of the middle regions for the generous yajamana and all.