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प्र सु॑वा॒नो धार॑या॒ तनेन्दु॑र्हिन्वा॒नो अ॑र्षति । रु॒जद्दृ॒ळ्हा व्योज॑सा ॥

अंग्रेज़ी लिप्यंतरण

pra suvāno dhārayā tanendur hinvāno arṣati | rujad dṛḻhā vy ojasā ||

मन्त्र उच्चारण
पद पाठ

प्र । सु॒वा॒नः । धार॑या । तना॑ । इन्दुः॑ । हि॒न्वा॒नः । अ॒र्ष॒ति॒ । रु॒जत् । दृ॒ळ्हा । वि । ओज॑सा ॥ ९.३४.१

ऋग्वेद » मण्डल:9» सूक्त:34» मन्त्र:1 | अष्टक:6» अध्याय:8» वर्ग:24» मन्त्र:1 | मण्डल:9» अनुवाक:2» मन्त्र:1


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आर्यमुनि

अब परमात्मा की अद्भुत सत्ता वर्णन की जाती है।

पदार्थान्वयभाषाः - (इन्दुः) परमैश्वर्यवाला परमात्मा (ओजसा) अपने पराक्रम से (दृळ्हा विरुजत्) अज्ञानों का नाश करता हुआ (धारया प्रसुवानः) अपनी अधिकरणरूप सत्ता से सबको उत्पन्न करता हुआ (हिन्वानः) सबकी प्रेरणा करता हुआ (तना अर्षति) इस विस्तृत ब्रह्माण्ड में व्याप्त हो रहा है ॥१॥
भावार्थभाषाः - परमात्मा की ऐसी अद्भुत सत्ता है कि वह निरवयव होकर भी सम्पूर्ण सावयव पदार्थों का अधिष्ठान है। उसी के आधार पर यह चराचर जगत् स्थिर है और वह सर्वप्रेरक होकर कर्मरूपी चक्र द्वारा सबको प्रेरणा करता है ॥१॥
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हरिशरण सिद्धान्तालंकार

धारया तना

पदार्थान्वयभाषाः - [१] (सुवानः) = शरीर में उत्पन्न किया जाता हुआ (इन्दुः) = हमें शक्तिशाली बनानेवाला सोम (धारया) = धारणशक्ति के हेतु से तथा (तना) = शक्तियों के विस्तार के हेतु से (हिन्वानः) = शरीर के अन्दर प्रेरित किया जाता हुआ (प्र अर्षति) = प्रकर्षेण प्राप्त होता है। शरीर में धारण किया हुआ यह सोम हमारा धारण करता है, हमारी शक्तियों का विस्तार करता है। [२] यह सोम (ओजसा) = ओजस्विता के द्वारा (दृढा) = दृढ़ भी शत्रु पुरियों को काम-क्रोध-लोभ की नगरियों को (विरुजत्) = विशेषेण भग्न कर देता है । सोमरक्षण से काम-क्रोध-लोभ का विनाश करके ही यह 'त्रित' बनता है, तीनों को तैरनेवाला ।
भावार्थभाषाः - भावार्थ- सोम [क] हमारा धारण करता है, [ख] यह हमारी शक्तियों का विस्तार करता है, [ग] काम-क्रोध-लोभ का विनाश करता है ।
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आर्यमुनि

अथ परमात्मनोऽद्भुतसत्ता वर्ण्यते।

पदार्थान्वयभाषाः - (इन्दुः) परमैश्वर्यवान् स परमात्मा (दृळ्हा विरुजत्) अज्ञानानि नाशयन् (धारया प्रसुवानः) स्वाधिकरणसत्तया सर्वमुत्पादयन् (हिन्वानः) सर्वं प्रेरयन् (तना अर्षति) एतद्विस्तृतं ब्रह्माण्डं व्याप्नोति ॥१॥
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डॉ. तुलसी राम

पदार्थान्वयभाषाः - Creating, inspiring and impelling life onward all round with streams of divine energy and ambition, Soma, blissful creativity of the lord omnipotent, goes on, breaking down strongholds of negativity, evil and darkness all round with its might and lustre.