ए॒ते विश्वा॑नि॒ वार्या॒ पव॑मानास आशत । हि॒ता न सप्त॑यो॒ रथे॑ ॥
अंग्रेज़ी लिप्यंतरण
मन्त्र उच्चारण
ete viśvāni vāryā pavamānāsa āśata | hitā na saptayo rathe ||
पद पाठ
ए॒ते । विश्वा॑नि । वार्या॑ । पव॑मानासः । आ॒श॒त॒ । हि॒ताः । न । सप्त॑यः । रथे॑ ॥ ९.२१.४
ऋग्वेद » मण्डल:9» सूक्त:21» मन्त्र:4
| अष्टक:6» अध्याय:8» वर्ग:11» मन्त्र:4
| मण्डल:9» अनुवाक:1» मन्त्र:4
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आर्यमुनि
पदार्थान्वयभाषाः - जिस प्रकार (सप्तयः) सात सूर्य की किरणें (रथे) इस विराड्रूपी रथ में (हिताः) निहित हैं, (न) इसी प्रकार (एते पवमानासः) सबको पवित्र करते हुए ये (विश्वानि) सम्पूर्ण (वार्या) ब्रह्माण्ड (आशत) परमात्मा में निवास करते हैं ॥४॥
भावार्थभाषाः - जिस प्रकार उपग्रह सूर्य आदि ग्रहों के इतस्ततः भ्रमण करते हैं, इसी प्रकार सब लोक-लोकान्तर इस विराट् के इतस्ततः परिभ्रमण करते हैं ॥४॥
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हरिशरण सिद्धान्तालंकार
सब वरणीय वस्तुओं की प्राप्ति
पदार्थान्वयभाषाः - [१] (एते) = ये (पवमानासः) = हमारे जीवनों को पवित्र करनेवाले सोम (विश्वानि) = सब (वार्या) = वरणीय वस्तुओं को आशत व्याप्त करनेवाले होते हैं। सोमरक्षण से सब वरणीय वस्तुएँ हमें प्राप्त होती हैं । [२] ये सोम (रथे) = इस शरीर - रथ में (हिता:) = स्थापित, जुते हुए (सप्तयः न) = घोड़ों के समान हैं। जिस प्रकार घोड़े हमें उद्दिष्ट स्थल पर पहुँचाते हैं, उसी प्रकार ये सोम हमें जीवनयात्रा में इस शरीर रथ के द्वारा उद्दिष्ट स्थल पर पहुँचानेवाले हैं, ये हमें प्रभु के समीप प्राप्त कराते हैं।
भावार्थभाषाः - भावार्थ- सुरक्षित सोम हमें सब वरणीय वस्तुओं को प्राप्त कराते हैं तथा इस शरीर रथ के द्वारा लक्ष्य स्थान [ = ब्रह्म] तक पहुँचाते हैं।
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आर्यमुनि
पदार्थान्वयभाषाः - यथा (सप्तयः) सप्त सूर्यकिरणाः (रथे) अस्मिन् विराड्रूपे रथे (हिताः) निहिताः सन्ति (न) तथैव (एते पवमानासः) सर्वेषां पावयितॄणि इमानि (विश्वानि) सर्वाणि (वार्या) ब्रह्माण्डानि (आशत) परमात्मनि निवसन्ति ॥४॥
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डॉ. तुलसी राम
पदार्थान्वयभाषाः - All these streams of soma of the world, pure, purifying and flowing, abide in the One and only One like seven colours of the spectrum abiding in the light of the sun.
