वांछित मन्त्र चुनें

आ यो विश्वा॑नि॒ वार्या॒ वसू॑नि॒ हस्त॑योर्द॒धे । मदे॑षु सर्व॒धा अ॑सि ॥

अंग्रेज़ी लिप्यंतरण

ā yo viśvāni vāryā vasūni hastayor dadhe | madeṣu sarvadhā asi ||

मन्त्र उच्चारण
पद पाठ

आ । यः । विश्वा॑नि । वार्या॑ । वसू॑नि । हस्त॑योः । द॒धे । मदे॑षु । स॒र्व॒ऽधाः । अ॒सि॒ ॥ ९.१८.४

ऋग्वेद » मण्डल:9» सूक्त:18» मन्त्र:4 | अष्टक:6» अध्याय:8» वर्ग:8» मन्त्र:4 | मण्डल:9» अनुवाक:1» मन्त्र:4


0 बार पढ़ा गया

आर्यमुनि

पदार्थान्वयभाषाः - (यः) जो परमात्मा (विश्वानि) सब (वार्या) ‘वरितुं योग्यानि वार्याणि’ प्रार्थनीय (वसूनि) धन रत्नादिकों को (हस्तयोः आदधे) विज्ञानी लोगों के हस्तगत कर देता है, वही (मदेषु) सब हर्षयुक्त वस्तुओं में (सर्वधाः) सब प्रकार की शोभा को धारण करानेवाला (असि) है ॥४॥
भावार्थभाषाः - जो सम्पूर्ण वस्तुओं को अपने हस्तगत करना चाहते हो, तो ईश्वर के उपासक बनो ॥४॥
0 बार पढ़ा गया

हरिशरण सिद्धान्तालंकार

'वसुप्रापक' सोम

पदार्थान्वयभाषाः - [१] हे सोम ! तू वह है (यः) = जो (विश्वानि) = सब वार्यावरणीय, चाहने योग्य (वसूनि) = वसुओं को निवास के लिये आवश्यक तत्त्वों को (हस्तयोः) = हाथों में (आ दधे) = धारण करता है। इस सोम के धारण से हमें सब वसुओं की प्राप्ति होती है । [२] हे सोम ! तू (मदेषु) = उल्लासों के होने पर (सर्वधाः असि) = सबका धारण करनेवाला है। 'शरीर, मन, मस्तिष्क' सभी को तू उत्तम बनाता है ।
भावार्थभाषाः - भावार्थ- सुरक्षित सोम सब वसुओं को प्राप्त करानेवाला है।
0 बार पढ़ा गया

आर्यमुनि

पदार्थान्वयभाषाः - (यः) यः परमात्मा (विश्वानि) सर्वाणि (वार्या) प्रार्थनीयानि (वसूनि) धनरत्नादीनि (हस्तयोः आदधे) विज्ञानिनां हस्तगतानि करोति स एव (मदेषु) सर्वहर्षयुक्तवस्तुषु (सर्वधाः) सर्वविधशोभानां धारकः (असि) अस्ति ॥४॥
0 बार पढ़ा गया

डॉ. तुलसी राम

पदार्थान्वयभाषाः - You who hold in hands the entire wealth of the world, we cherish, you who are the sole sustainer and dispenser for all in bliss divine.