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शु॒क्रः प॑वस्व दे॒वेभ्य॑: सोम दि॒वे पृ॑थि॒व्यै शं च॑ प्र॒जायै॑ ॥

अंग्रेज़ी लिप्यंतरण

śukraḥ pavasva devebhyaḥ soma dive pṛthivyai śaṁ ca prajāyai ||

मन्त्र उच्चारण
पद पाठ

शु॒क्रः । प॒व॒स्व॒ । दे॒वेभ्यः॑ । सो॒म॒ । दि॒वे । पृ॒थि॒व्यै । शम् । च॒ । प्र॒ऽजायै॑ ॥ ९.१०९.५

ऋग्वेद » मण्डल:9» सूक्त:109» मन्त्र:5 | अष्टक:7» अध्याय:5» वर्ग:20» मन्त्र:5 | मण्डल:9» अनुवाक:7» मन्त्र:5


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आर्यमुनि

पदार्थान्वयभाषाः - (देवेभ्यः) आप सब विद्वानों को (पवस्व) पवित्र करें। (सोम) हे सर्वोत्पादक परमात्मन् ! (दिवे) द्युलोक (पृथिव्यै) पृथिवीलोक (च) और (प्रजायै) प्रजा के लिये (शं) कल्याणकारी हों, (शुक्रः) क्योंकि आप बलस्वरूप हैं ॥५॥
भावार्थभाषाः - परमात्मा सम्पूर्ण प्रजाओं के लिये आनन्द की वृष्टि करनेवाला है अर्थात् वही आनन्द का स्रोत होने के कारण उसी से आनन्द की लहरें इतस्ततः प्रचार पाती हैं, किसी अन्य स्रोत से नहीं ॥५॥
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हरिशरण सिद्धान्तालंकार

'शरीर, मस्तिष्क व प्रजा' की अविकृति

पदार्थान्वयभाषाः - हे (सोम) = वीर्य ! (शुक्रः) = हमारे जीवन ज्ञानदीप्त व निर्मल बनानेवाला तू हमें (देवेभ्यः) = दिव्य गुणों की प्राप्ति के लिये (पवस्व) = प्राप्त हो । सोमरक्षण से जीवन में आसुरभावों का विनाश होकर दिव्य गुणों का वर्धन होता है। तू (दिवे) = मस्तिष्क रूप द्युलोक के लिये, पृथिव्यै शरीर रूप पृथिवी लोक के लिये, (न) = और (प्रजायै) = शक्तियों के विकास के लिये व सन्तान के लिये (शम्) = शान्ति का देनेवाला हो । सोमरक्षण से मस्तिष्क व शरीर में किसी प्रकार का विकार नहीं होता । सन्तान भी अविकृत अंगोंवाले होते हैं। सोमरक्षण के अभाव में 'शरीर, मस्तिष्क व सन्तान' सभी पर दुष्प्रभाव पड़ता है।
भावार्थभाषाः - भावार्थ- सुरक्षित सोम दिव्यगुणों का वर्धन करता है तथा 'मस्तिष्क, शरीर व सन्तानों' को अविकृति का कारण बनता है ।
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आर्यमुनि

पदार्थान्वयभाषाः - (सोम) हे सर्वोत्पादक ! (देवेभ्यः, पवस्व) विदुषो भवान् पुनातु (दिवे) द्युलोकाय (पृथिव्यै) पृथिवीलोकाय (च) तथा च (प्रजायै) प्रजार्थं (शं) कल्याणं करोतु भवान् (शुक्रः) यतो बलस्वरूपो भवान् ॥५॥
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डॉ. तुलसी राम

पदार्थान्वयभाषाः - O pure and potent Soma spirit of divinity, consecrate and radiate for the generous brilliant nobilities and divinities and bring showers of peace and joy for heaven and earth and for the human people and all other forms of life.