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स नो॑ हरीणां पत॒ इन्दो॑ दे॒वप्स॑रस्तमः । सखे॑व॒ सख्ये॒ नर्यो॑ रु॒चे भ॑व ॥

अंग्रेज़ी लिप्यंतरण

sa no harīṇām pata indo devapsarastamaḥ | sakheva sakhye naryo ruce bhava ||

मन्त्र उच्चारण
पद पाठ

सः । नः॒ । ह॒री॒णा॒म् । प॒ते॒ । इन्दो॒ इति॑ । दे॒वप्स॑रःऽतमः । सखा॑ऽइव । सख्ये॑ । नर्यः॑ । रु॒चे । भ॒व॒ ॥ ९.१०५.५

ऋग्वेद » मण्डल:9» सूक्त:105» मन्त्र:5 | अष्टक:7» अध्याय:5» वर्ग:8» मन्त्र:5 | मण्डल:9» अनुवाक:7» मन्त्र:5


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आर्यमुनि

पदार्थान्वयभाषाः - (हरीणां, पते) हे अखिल प्रकाशाधार ! (इन्दो) परमात्मन् ! आप (देवप्सरस्तमः) दिव्य से दिव्य तेजवाले हैं। (सः) वह आप (नः, नर्यः) हम सब यज्ञकर्ताओं की (रुचे, भव) दीप्ति के लिये हो, (सख्ये, सखा, इव) जिस प्रकार मित्र मित्र के लिये तेजोवर्द्धक होता है ॥५॥
भावार्थभाषाः - जिस प्रकार सूर्य्य अन्य पदार्थों के तेज को देदीप्यमान करता है, इसी प्रकार परमात्मा भी ज्ञान-विज्ञानादि तेजों में लोगों को देदीप्यमान करता है ॥५॥
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हरिशरण सिद्धान्तालंकार

रुचे भव

पदार्थान्वयभाषाः - हे (हरीणां पते) = इन्द्रियाश्वों के रक्षक (इन्दो) = सोम ! (सः) = वह तू (देवप्सरस्तमः) = अतिशयेन दीप्त रूप से युक्त है। एक-एक इन्द्रिय को सशक्त बनाकर तू हमें खूब तेजस्वी व दीप्त रूप वाला बनाता है । (इव) = जैसे (सखा) = एक मित्र सख्ये मित्र के लिये हितकर होता है, उसी प्रकार तू (नर्यः) = उन्नतिपथ पर चलने वालों के लिये हितकर हो । वस्तुतः सोमरक्षण ही हमें उन्नतिपथ पर चलने के योग्य बनाता है। हे सोम ! तू (रुचे भव) = दीप्ति के लिये हो । सोम ही ज्ञानाग्नि का ईंधन बनकर हमें ज्ञानदीप्त बनाता है।
भावार्थभाषाः - भावार्थ- सुरक्षित सोम इन्द्रियों की शक्ति का रक्षण करता है, हमें अधिक से अधिक दीप्त रूप वाला बनाता है, हमारी ज्ञानाग्नि को दीप्त करता है।
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आर्यमुनि

पदार्थान्वयभाषाः - (हरीणां, पते)  हे अखिलप्रकाशाधार ! (इन्दो) परमात्मन् ! भवान् (देवप्सरस्तमः) दिव्यतमतेजयुक्तोऽस्ति  (सः) स भवान् (नः,नर्यः)  अस्माकं  याजकानां  (रुचे, भव)  दीप्तये भवतु  (सख्ये, सखा, इव) यथा सखा स्वमित्रस्य तेजोवर्धको भवति ॥५॥
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डॉ. तुलसी राम

पदार्थान्वयभाषाः - O spirit of beauty and universal majesty, controller of all movements, beauties and perfections, divine presence that comprehend all forms of refulgence and generosity, like a friend for friends, be good for our pioneer leadership and brilliance on the vedi.