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तं व॑: सखायो॒ मदा॑य पुना॒नम॒भि गा॑यत । शिशुं॒ न य॒ज्ञैः स्व॑दयन्त गू॒र्तिभि॑: ॥

अंग्रेज़ी लिप्यंतरण

taṁ vaḥ sakhāyo madāya punānam abhi gāyata | śiśuṁ na yajñaiḥ svadayanta gūrtibhiḥ ||

मन्त्र उच्चारण
पद पाठ

तम् । वः॒ । स॒खा॒यः॒ । मदा॑य । पु॒ना॒नम् । अ॒भि । गा॒य॒त॒ । शिशु॑म् । न । य॒ज्ञैः । स्व॒द॒य॒न्त॒ । गू॒र्तिऽभिः॑ ॥ ९.१०५.१

ऋग्वेद » मण्डल:9» सूक्त:105» मन्त्र:1 | अष्टक:7» अध्याय:5» वर्ग:8» मन्त्र:1 | मण्डल:9» अनुवाक:7» मन्त्र:1


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आर्यमुनि

पदार्थान्वयभाषाः - (सखायः) हे उपासक लोगों ! (यज्ञैः स्वदयन्तः) जो कि आप लोग यज्ञ द्वारा परमात्मा का स्तवन करते हैं, (गूर्तिभिः) स्तुतियों द्वारा (तम्) उक्त परमात्मा को (वः, पुनानम्) जो आप सबको पवित्र करनेवाला है, (शिशुम्) प्रशंसनीय है, उसको आनन्द के लिये (अभिगायत) गायन करें ॥१॥
भावार्थभाषाः - जो लोग परमात्मा के यश का गायन करते हैं, वे अवश्यमेव परमात्मज्ञान को प्राप्त होते हैं ॥१॥
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हरिशरण सिद्धान्तालंकार

यज्ञै:- मूर्तिभिः

पदार्थान्वयभाषाः - हे (सखायः) = मित्रो ! (वः मदाय) = तुम्हारे आनन्द व उल्लास के लिये (पुनानं) = पवित्र करते हुए (तं) = उस सोम को (अभिगायत) = प्रातः सायं स्तुत करो। इस सोम के गुणों का गान करते हुए सोमरक्षण के लिये प्रवृत्त होवो । (शिशुं न) = [शो तनूकरणे] बुद्धि को सूक्ष्म सा बनानेवाले इस सोम को (यज्ञैः) = श्रेष्ठतम कर्मों से तथा (मूर्तिभिः) = [ praise] स्तुतियों से (स्वदयन्त) = स्वादवाला बनाते हैं। यज्ञों व स्तवनों से शरीर में सुरक्षित हुआ हुआ सोम जीवन को स्वादिष्ट व मधुर बनाता है। जीवन में से कड़वाहट को दूर करके यह सोम हमें मधुर व्यवहार व मधुर वाणी वाला बनाता है।
भावार्थभाषाः - भावार्थ-यज्ञों व स्तवनों के द्वारा सुरक्षित सोम हमारे जीवनों को पवित्र व मधुर बनाता है ।
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आर्यमुनि

पदार्थान्वयभाषाः - (सखायः) हे उपासकाः ! (यज्ञैः, स्वदयन्तः) यतो यूयं यज्ञैः परमात्मानं स्तुथ अतः (गूर्त्तिभिः) स्तुतिभिः (तं) उक्तपरमात्मानं (वः, पुनानम्) युष्माकं पावयितारं (शिशुं) शंसनीयं (मदाय) आनन्दाय (अभिगायत) सम्यग्गायत ॥१॥
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डॉ. तुलसी राम

पदार्थान्वयभाषाः - O friends, enjoying together with creative acts of yajna, sing and celebrate Soma, pure and purifying presence of divinity, with songs of praise, and exalt and adorn him as a darling adorable power for winning the joy of life’s fulfilment.