स॒मी॒ची॒नास॑ आसते॒ होता॑रः स॒प्तजा॑मयः । प॒दमेक॑स्य॒ पिप्र॑तः ॥
अंग्रेज़ी लिप्यंतरण
मन्त्र उच्चारण
samīcīnāsa āsate hotāraḥ saptajāmayaḥ | padam ekasya piprataḥ ||
पद पाठ
स॒मी॒ची॒नासः॑ । आ॒स॒ते॒ । होता॑रः । स॒प्तऽजा॑मयः । प॒दम् । एक॑स्य । पिप्र॑तः ॥ ९.१०.७
ऋग्वेद » मण्डल:9» सूक्त:10» मन्त्र:7
| अष्टक:6» अध्याय:7» वर्ग:35» मन्त्र:2
| मण्डल:9» अनुवाक:1» मन्त्र:7
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आर्यमुनि
पदार्थान्वयभाषाः - (सप्त, जामयः) यज्ञकर्म में सङ्गति रखनेवाले (होतारः) होता लोग (समीचीनासः) यज्ञकर्म में जो निपुण हैं, वे (एकस्य, पदम्) एक परमात्मा के पद को जब (आसते) ग्रहण करते हैं, तो वे (पिप्रतः) यज्ञ को सम्पूर्ण करते हैं ॥७॥
भावार्थभाषाः - जो लोग एक परमात्मा की उपासना करते हैं, उन्हीं के सब कामों की पूर्ति होती है। तात्पर्य यह है कि ईश्वरपरायण लोगों के कार्यों में कदापि विघ्न नहीं होता ॥७॥
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हरिशरण सिद्धान्तालंकार
'परमपद प्रापक' सात होता
पदार्थान्वयभाषाः - [१] गत मन्त्र के अनुसार सोम का रक्षण करने पर इस जीवनयज्ञ के (सप्त) = सात (होतारः) = होता- 'कान, नासिक छिद्र, आँखें तथा मुख' (समीचीनासः) = [सम्+अञ्च्] मिलकर कार्य करनेवाले होते हैं तथा (जामयः) = उत्तम गुणों व शक्तियों का विकास करनेवाले बनते हैं। [२] इस प्रकार मिलकर कार्य करनेवाले व उत्तम शक्तियों का विकास करनेवाले ये जीवन यज्ञ के सात होता एकस्य उस अद्वितीय प्रभु के 'स एष एकः, एकवृदेक एव' [अथर्व०] (पदम्) = पद को (पिप्रत:) = [ पूरयन्तः ] हमारे में पूरित करनेवाले होते हैं । अर्थात् ये हमें प्रभु को प्राप्त कराते हैं ।
भावार्थभाषाः - भावार्थ- सोमरक्षण से जीवनयज्ञ के सात होता 'दो कान, दो नासिका छिद्र, दो आँखें व मुख' हमें प्रभु के परमपद को प्राप्त करानेवाले होते हैं।
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आर्यमुनि
पदार्थान्वयभाषाः - (सप्त, जामयः) यज्ञकर्मणि सङ्गमनशीलाः सप्त (होतारः) यज्ञाङ्गभृताः होत्रादयः (समीचीनासः) ये च यज्ञे दक्षास्ते (एकस्य, पदम्) केवलपरमात्मनः पदं (आसते) श्रयन्ते यदा तदा (पिप्रतः) यथेष्टं पूरयन्ति यज्ञम् ॥७॥
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डॉ. तुलसी राम
पदार्थान्वयभाषाः - Seven priests in unison as brothers, happy and dedicated with peace at heart, sit on the vedi and fulfill the yajna in honour of one sole divinity for one sole purpose in the service of humanity and divinity.
