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अ॒स्मे इ॑न्द्र॒ सचा॑ सु॒ते नि ष॑दा पी॒तये॒ मधु॑ । कृ॒धी ज॑रि॒त्रे म॑घव॒न्नवो॑ म॒हद॒स्मे इ॑न्द्र॒ सचा॑ सु॒ते ॥

अंग्रेज़ी लिप्यंतरण

asme indra sacā sute ni ṣadā pītaye madhu | kṛdhī jaritre maghavann avo mahad asme indra sacā sute ||

मन्त्र उच्चारण
पद पाठ

अ॒स्मे इति॑ । इ॒न्द्र॒ । सचा॑ । सु॒ते । नि । ष॒द॒ । पी॒तये॑ । मधु॑ । कृ॒धि । ज॒रि॒त्रे । म॒घ॒ऽव॒न् । अवः॑ । म॒हत् । अ॒स्मे इति॑ । इ॒न्द्र॒ । सचा॑ । सु॒ते ॥ ८.९७.८

ऋग्वेद » मण्डल:8» सूक्त:97» मन्त्र:8 | अष्टक:6» अध्याय:6» वर्ग:37» मन्त्र:3 | मण्डल:8» अनुवाक:10» मन्त्र:8


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हरिशरण सिद्धान्तालंकार

हृदयों में प्रभु का वास व सोमरक्षण

पदार्थान्वयभाषाः - [१] हे (इन्द्र) = शत्रु - विद्रावक प्रभो! (अस्मे) = हमारे (सचा) = साथ सुते सोम का सम्पादन होने पर (निषदा) = निषण्ण होइये। आप हृदय में आसीन होंगे, तभी वासनाओं का विनाश होगा। सो (मधुपीतये) = इस जीवन को मधुर बनानेवाले सोम को पीने के लिये आप हमारे हृदयों में स्थित होइये। [२] हे (मघवन्) = ऐश्वर्यशालिन् इन्द्र प्रभो ! (अस्मे) = हमारे में (सुते) = सोम का सम्पादन होने पर (सचा) = साथ होते हुए आप (जरित्रे) = स्तोता के लिये (महत् अवः) = महान् रक्षण को (कृधि) = करिये।
भावार्थभाषाः - भावार्थ- हमारे हृदयों में प्रभु का वास हो। इससे सोम का रक्षण होकर हमारा जीवन मधुर बने तो रोगों से बचा रहे ।
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डॉ. तुलसी राम

पदार्थान्वयभाषाः - Indra, when we have distilled the soma of life’s knowledge and value, be with us as a friend and let us be together so that we may experience the divine joy of achievement. O lord of glory, create the great divine protective band for the devotee, be our friend in company, the soma of celebration is ready.