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समीं॑ रे॒भासो॑ अस्वर॒न्निन्द्रं॒ सोम॑स्य पी॒तये॑ । स्व॑र्पतिं॒ यदीं॑ वृ॒धे धृ॒तव्र॑तो॒ ह्योज॑सा॒ समू॒तिभि॑: ॥

अंग्रेज़ी लिप्यंतरण

sam īṁ rebhāso asvarann indraṁ somasya pītaye | svarpatiṁ yad īṁ vṛdhe dhṛtavrato hy ojasā sam ūtibhiḥ ||

मन्त्र उच्चारण
पद पाठ

सम् । ई॒म् । रे॒भासः॑ । अ॒स्व॒र॒न् । इन्द्र॑म् । सोम॑स्य । पी॒तये॑ । स्वः॑ऽपतिम् । यत् । ई॒म् । वृ॒धे । धृ॒तऽव्र॑तः । हि । ओज॑सा । सम् । ऊ॒तिऽभिः॑ ॥ ८.९७.११

ऋग्वेद » मण्डल:8» सूक्त:97» मन्त्र:11 | अष्टक:6» अध्याय:6» वर्ग:38» मन्त्र:1 | मण्डल:8» अनुवाक:10» मन्त्र:11


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हरिशरण सिद्धान्तालंकार

स्तुति से 'सोमरक्षण, प्रकाश वृद्धि व पुण्य का लाभ'

पदार्थान्वयभाषाः - [१] (रेभासः) = स्तोता लोग (ईं इन्द्रम्) = इस परमैश्वर्यशाली प्रभु को (सोमस्य पीतये) = सोम के रक्षण के लिये (सं अस्वरन्) = स्तुत करते हैं। प्रभु-स्तवन द्वारा, वासनाओं से आक्रान्त न होते हुए ये स्तोता सोमरक्षण कर पाते हैं। [२] (स्वः पतिम्) = सुख व प्रकाश के स्वामी (ईम्) = इस प्रभु को (यद्) = जब ये स्तुत करते हैं, तो वे प्रभु (वृधे) = इनकी वृद्धि के लिये होते हैं। वे प्रभु (हि) = निश्चय से (ओजसा) = ओजस्विता के साथ तथा (ऊतिभिः) = रक्षणों के साथ (धृतव्रतः) = इनके उत्तम कर्मों का धारण करते हुए (सम्) [गच्छते] = इनके साथ संगत होते हैं।
भावार्थभाषाः - भावार्थ- हम प्रभु का स्तवन करें। प्रभु हमारे जीवन में सोम का रक्षण करेंगे, प्रकाश को प्राप्त करायेंगे, अपने रक्षणों व ओज से हमारे व्रतों का रक्षण करेंगे। इस प्रकार हमारी वृद्धि का कारण बनेंगे।
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डॉ. तुलसी राम

पदार्थान्वयभाषाः - Let all intelligent people cordially welcome and felicitate Indra for the protection of the honour, integrity, beauty and culture of the nation of humanity, and when they, together, exhort the guardian of their happiness and welfare to advance the beauty of corporate life, then, committed to the values, laws and ideals of the nation, he feels exalted with lustrous courage and positive measures of defence and protection.