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अस्ति॒ सोमो॑ अ॒यं सु॒तः पिब॑न्त्यस्य म॒रुत॑: । उ॒त स्व॒राजो॑ अ॒श्विना॑ ॥

अंग्रेज़ी लिप्यंतरण

asti somo ayaṁ sutaḥ pibanty asya marutaḥ | uta svarājo aśvinā ||

मन्त्र उच्चारण
पद पाठ

अस्ति॑ । सोमः॑ । अ॒यम् । सु॒तः । पिब॑न्ति । अ॒स्य॒ । म॒रुतः॑ । उ॒त । स्व॒ऽराजः॑ । अ॒श्विना॑ ॥ ८.९४.४

ऋग्वेद » मण्डल:8» सूक्त:94» मन्त्र:4 | अष्टक:6» अध्याय:6» वर्ग:28» मन्त्र:4 | मण्डल:8» अनुवाक:10» मन्त्र:4


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हरिशरण सिद्धान्तालंकार

मरुतः स्वराजः अश्विना

पदार्थान्वयभाषाः - [१] (अयं सोमः) = यह सोम (सुतः अस्ति) = शरीर में सम्पादित हुआ है। (अस्य) = इसका (मरुतः) = परिमित बोलनेवाले खूब क्रियाशील लोग ही (पिबन्ति) = पान करते हैं। [२] (उत) = और (स्वराजः) = आत्मशासन करनेवाले (अश्विना) = प्राणापान की साधना में प्रवृत्त पुरुष इस सोम का शरीर में रक्षण कर पाते हैं। सोमरक्षण से ही सब उन्नतियों का होना सम्भव होता है।
भावार्थभाषाः - भावार्थ- शरीर में सोम का रक्षण 'मरुत्, स्वराट् व अश्विना' करते हैं। मितरावी खूब क्रियाशील पुरुष, आत्मशासन करनेवाले, प्राणसाधक पुरुष सोम का रक्षण कर पाते हैं।
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डॉ. तुलसी राम

पदार्थान्वयभाषाः - O Maruts, mighty men of honour and action, this soma of glorious life is ready, created by divinity. Lovers of life and adventure, Ashwins, live it and enjoy, those who are self-refulgent, free and self-governed, and who are ever on the move, creating, acquiring, giving, like energies of nature in the cosmic circuit.