वांछित मन्त्र चुनें

आ नू॒नं या॑तमश्वि॒नाश्वे॑भिः प्रुषि॒तप्सु॑भिः । दस्रा॒ हिर॑ण्यवर्तनी शुभस्पती पा॒तं सोम॑मृतावृधा ॥

अंग्रेज़ी लिप्यंतरण

ā nūnaṁ yātam aśvināśvebhiḥ pruṣitapsubhiḥ | dasrā hiraṇyavartanī śubhas patī pātaṁ somam ṛtāvṛdhā ||

मन्त्र उच्चारण
पद पाठ

आ । नू॒नम् । या॒त॒म् । अ॒श्वि॒ना॒ । अश्वे॑भिः । प्रु॒षि॒तप्सु॑ऽभिः । दस्रा॑ । हिर॑ण्यवर्तनी॒ इति॒ हिर॑ण्यऽवर्तनी । शु॒भः॒ । प॒ती॒ इति॑ । पा॒तम् । सोम॑म् । ऋ॒त॒ऽवृ॒धा॒ ॥ ८.८७.५

ऋग्वेद » मण्डल:8» सूक्त:87» मन्त्र:5 | अष्टक:6» अध्याय:6» वर्ग:10» मन्त्र:5 | मण्डल:8» अनुवाक:9» मन्त्र:5


0 बार पढ़ा गया

हरिशरण सिद्धान्तालंकार

प्रुषितप्सु अश्व [स्निग्धरूप इन्द्रयाश्व]

पदार्थान्वयभाषाः - [१] हे (अश्विना) = प्राणापानो! आप (नूनम्) = निश्चय से (प्रुषितप्सुभिः) = स्निग्धरूप-दीप्तरूपवाले-शक्ति से सिक्तरूपवाले (अश्वेभिः) = इन्द्रियाश्वों के साथ (आयातम्) = हमें प्राप्त होओ। सोमरक्षण द्वारा आप हमारी इन्द्रियों को शक्तिसिक्त बनाओ। [२] (दस्त्रा) = हमारे शत्रुओं का आप ही क्षय करनेवाले हो । शत्रुक्षय के द्वारा आप ही (हिरण्यवर्तनी) = हमारे जीवन को ज्योतिर्मय मार्गवाला बनाते हो और इस प्रकार (शुभस्पती) = शुभ का रक्षण करते हो। हे (ऋतावृधा) = ऋत का [सत्य का व यज्ञ का ] वर्धन करनेवाले प्राणापानो! आप (सोमं पातम्) = हमारे जीवनों में सोम का रक्षण करो।
भावार्थभाषाः - भावार्थ- प्राणापान सोमरक्षण द्वारा हमारे इन्द्रियाश्वों को दीप्तरूपवाला बनाते हैं। ये हमारे शत्रुओं का क्षय करनेवाले, जीवनमार्ग को ज्योतिर्मय बनानेवाले व शुभ के रक्षक हैं।
0 बार पढ़ा गया

डॉ. तुलसी राम

पदार्थान्वयभाषाः - Ashvins, holy powers of humanity and nature living and acting in complementarity, destroyers of evil and negativities, moving by golden paths of virtue, protectors and promoters of the good and positive values of life, growing to higher life by truth, observing and advancing the laws of truth by following paths of truth, come with your mind and senses inspired and strengthened by nature and enlightenment and enjoy the soma delight of life.