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देवता: अश्विनौ ऋषि: कृष्णः छन्द: गायत्री स्वर: षड्जः

गच्छ॑तं दा॒शुषो॑ गृ॒हमि॒त्था स्तु॑व॒तो अ॑श्विना । मध्व॒: सोम॑स्य पी॒तये॑ ॥

अंग्रेज़ी लिप्यंतरण

gacchataṁ dāśuṣo gṛham itthā stuvato aśvinā | madhvaḥ somasya pītaye ||

मन्त्र उच्चारण
पद पाठ

गच्छ॑तम् । दा॒शुषः॑ । गृ॒हम् । इ॒त्था । स्तु॒व॒तः । अ॒श्वि॒ना॒ । मध्वः॑ । सोम॑स्य । पी॒तये॑ ॥ ८.८५.६

ऋग्वेद » मण्डल:8» सूक्त:85» मन्त्र:6 | अष्टक:6» अध्याय:6» वर्ग:8» मन्त्र:1 | मण्डल:8» अनुवाक:9» मन्त्र:6


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हरिशरण सिद्धान्तालंकार

दाश्वान् के गृह में प्राणापान का आगमन

पदार्थान्वयभाषाः - [१] हे (अश्विना) = प्राणापानो! आप (इत्था) = सत्यरूप में (स्तुवतः) = स्तुति करते हुए (दाशुषः) = आपके प्रति अर्पण करनेवाले व्यक्ति के (गृहं गच्छतम्) = शरीररूप गृह में प्राप्त होओ, अर्थात् यह स्तोता आपकी अराधना करता हुआ अपने इस शरीर गृह में आपको प्रतिष्ठित कर पाये। [२] आप (मध्वः) = जीवन को मधुर बनानेवाले रस (सोमस्य) = सोम के (पीतये) = रक्षण के लिये होओ।
भावार्थभाषाः - भावार्थ- हम प्राणापान द्वारा प्राणापान की प्रतिष्ठा करें-ये शरीर में सोम की ऊर्ध्वगति के कारण बनेंगे।
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डॉ. तुलसी राम

पदार्थान्वयभाषाः - Thus with the gift of a home of peace and freedom, Ashvins, harbingers of light and beauty of a new morning, go to the yajamana who generously offers holy oblations into the creative yajna for new knowledge. Go to enjoy the soma of his achievement, protect and promote his efforts.