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यो न॒: शश्व॑त्पु॒रावि॒थामृ॑ध्रो॒ वाज॑सातये । स त्वं न॑ इन्द्र मृळय ॥

अंग्रेज़ी लिप्यंतरण

yo naḥ śaśvat purāvithāmṛdhro vājasātaye | sa tvaṁ na indra mṛḻaya ||

मन्त्र उच्चारण
पद पाठ

यः । नः॒ । शश्व॑त् । पु॒रा । आवि॑थ । अमृ॑ध्रः । वाज॑ऽसातये । सः । त्वम् । नः॒ । इ॒न्द्र॒ । मृ॒ळ॒य॒ ॥ ८.८०.२

ऋग्वेद » मण्डल:8» सूक्त:80» मन्त्र:2 | अष्टक:6» अध्याय:5» वर्ग:35» मन्त्र:2 | मण्डल:8» अनुवाक:8» मन्त्र:2


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शिव शंकर शर्मा

पदार्थान्वयभाषाः - (सोम) हे सर्वप्रिय देव ! (नः) हम लोगों को (मा+सं+वीविजः) अपने स्थान से विचलित मत कर। (राजन्) हे भगवन् ! हम लोगों को (मा+वि+वीभिषथा) भययुक्त मत बना और (नः+हार्दि) हमारे हृदय को (त्विषा) क्षुधा पिपासा आदि ज्वाला से (मा+वधीः) हनन मत कर ॥८॥
भावार्थभाषाः - मनुष्य जब पाप और अन्याय करता है, तब ही उसके हृदय में भय उत्पन्न होता और क्षुधा से शरीर जलने लगता है, इसलिये वैसा काम न करे ॥८॥
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हरिशरण सिद्धान्तालंकार

'शक्ति- प्रदाता' प्रभु

पदार्थान्वयभाषाः - [१] हे (इन्द्र) = सब शत्रुओं का विद्रावण करनेवाले प्रभो ! (यः) = जो आप (अमृध्रः) = अहिंसित होते हुए (नः) = हमें (शश्वत्) = सदा से (पुरा) = [ पृ पालनपूरणयोः] पालन व पूरण के द्वारा (आविथ) = रक्षित करते हो। वे आप (वाजसातये) = शक्ति को प्राप्त कराने के लिये होते हैं। इस शक्ति के द्वारा ही आप हमें पालन व पूरण के योग्य बनाते हैं। [२] हे प्रभो ! (सः त्वम्) = वे आप (नः) = हमें (मृडय) = सुखी करिये।
भावार्थभाषाः - भावार्थ- प्रभु हमें शक्ति को प्राप्त कराके पालन व पूरण के योग्य बनाते हैं। इस प्रकार हमें प्रभु सुखी करते हैं।
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शिव शंकर शर्मा

पदार्थान्वयभाषाः - हे सोम=सर्वप्रिय ! नः=अस्मान्। मा+सं+वीविजः=स्वस्थानात् चलितान् मा कार्षीः। हे राजन् ! मा+वि+वीभिषथा=भीतान् मा कार्षीः। नः=अस्माकम्। हार्दि=हृदयम्। त्विषा=ज्वालया। मा=वधीः ॥८॥
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डॉ. तुलसी राम

पदार्थान्वयभाषाः - O lord eternal, unassailable, indefatigable, you have ever protected us since time immemorial for the sake of advancement and victory in our battles of life. Pray be kind and gracious to bless us with peace and joy as ever before.