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अव॒ यत्स्वे स॒धस्थे॑ दे॒वानां॑ दुर्म॒तीरीक्षे॑ । राज॒न्नप॒ द्विष॑: सेध॒ मीढ्वो॒ अप॒ स्रिध॑: सेध ॥

अंग्रेज़ी लिप्यंतरण

ava yat sve sadhasthe devānāṁ durmatīr īkṣe | rājann apa dviṣaḥ sedha mīḍhvo apa sridhaḥ sedha ||

मन्त्र उच्चारण
पद पाठ

अव॑ । यत् । स्वे । स॒धऽस्थे॑ । दे॒वाना॑म् । दुः॒ऽम॒तीः । ईक्षे॑ । राज॑न् । अप॑ । द्विषः॑ । से॒ध॒ । मीढ्वः॑ । अप॑ । स्रिधः॑ । से॒ध॒ ॥ ८.७९.९

ऋग्वेद » मण्डल:8» सूक्त:79» मन्त्र:9 | अष्टक:6» अध्याय:5» वर्ग:34» मन्त्र:4 | मण्डल:8» अनुवाक:8» मन्त्र:9


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शिव शंकर शर्मा

पदार्थान्वयभाषाः - हे भगवन् ! आपका उपासक (यत्) जो वस्तु (पूर्व्यं) पहले (नष्टम्) नष्ट हो गया हो, उसको (विदत्) प्राप्त करे और (ऋतायुं) सत्याभिलाषी जन को (ईं) निश्चितरूप से (उदीरयत्) धनादि सहायता से बढ़ावे। और (अतीर्णम्) अवशिष्ट (ईम्+आयुम्) इस विद्यमान आयु को (प्रतारीत्) बढ़ावे ॥६॥
भावार्थभाषाः - उपासक धैर्य्य से ईश्वर की उपासना करें, सज्जनों की रक्षा, अपनी आयु बढ़ावें ॥६॥
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हरिशरण सिद्धान्तालंकार

द्विषः स्त्रिधः [अपसेध]

पदार्थान्वयभाषाः - [१] (यत्) = जब (देवानाम्) = देववृत्तिवाले पुरुषों के (स्वे सधस्थे) = आत्मा के साथ मिलकर बैठने के स्थान में, अर्थात् हृदयदेश में स्थित हुआ मैं (दुर्मती:) = अशुभ विचारों को (अव ईक्षे) = अपने से दूर हुआ देखता हूँ तो यही प्रार्थना करता हूँ कि हे राजन् हमारे जीवनों को दीप्त करनेवाले सोम ! तू (द्विषः अपसेध) = द्वेष की भावनाओं को हमारे से दूर कर । हे (मीढ्वः) = सुखों का सेचन करनेवाले सोम तू (स्त्रिधः) = हिंसाओं को [अपसेध=] हमारे से पृथक् कर ।
भावार्थभाषाः - भावार्थ- हम हृदयदेश में प्रभु का ध्यान करते हुए दुर्विकारों से बचें। द्वेष व हिंसाओं से दूर होते हुए अपने जीवनों को उत्तम बनायें।
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शिव शंकर शर्मा

पदार्थान्वयभाषाः - हे भगवन् ! तवोपासकः। यद् वस्तु पूर्व्यं=पूर्वम्। नष्टम्। तद्। विदत्=प्राप्नोति। ऋतायुं=सत्याभिलाषिणं जनम्। ईं=निश्चयेन। उदीरयत्=उदीरयतु=वर्धयतु। अतीर्णम्= अवशिष्टम् आयुः। प्र+तारीत्=प्रवर्धयतु ॥६॥
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डॉ. तुलसी राम

पदार्थान्वयभाषाः - O lord ruler of the world, whatever and wherever I happen to see the displeasure of divinities in our home, pray ward that off. O generous and virile lord of peace and good will, throw out the jealous and the enemies, ward off all the violent and destructive forces from us.