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क्रत्व॒ इत्पू॒र्णमु॒दरं॑ तु॒रस्या॑स्ति विध॒तः । वृ॒त्र॒घ्नः सो॑म॒पाव्न॑: ॥

अंग्रेज़ी लिप्यंतरण

kratva it pūrṇam udaraṁ turasyāsti vidhataḥ | vṛtraghnaḥ somapāvnaḥ ||

मन्त्र उच्चारण
पद पाठ

क्रत्वः॑ । इत् । पू॒र्णम् । उ॒दर॑म् । तु॒रस्य॑ । अ॒स्ति॒ । वि॒ध॒तः । वृ॒त्र॒ऽघ्नः । सो॒म॒ऽपाव्नः॑ ॥ ८.७८.७

ऋग्वेद » मण्डल:8» सूक्त:78» मन्त्र:7 | अष्टक:6» अध्याय:5» वर्ग:32» मन्त्र:2 | मण्डल:8» अनुवाक:8» मन्त्र:7


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शिव शंकर शर्मा

पदार्थान्वयभाषाः - (इन्द्र) हे सर्वद्रष्टा सर्वरक्षक महेश ! त्वद्भिन्न कोई भी (वृधीकः) अभ्युदयवर्धक (नकीम्) नहीं है, (ते) तुझसे बढ़कर कोई भी (सुसाः+न) नाना पदार्थों का विभाग करनेवाला नहीं (उत) और (न+सुदाः) न कोई सुदाता है। (शूर) हे शूर ! (त्वत्+अन्यः) तुझसे बढ़कर (वाघतः) धार्मिक पुरुषों का नेता नहीं ॥४॥
भावार्थभाषाः - ईश्वर से बढ़कर कोई जीव नहीं, अतः वही उपास्यदेव है ॥४॥
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हरिशरण सिद्धान्तालंकार

क्रतुसे पूर्ण उदर

पदार्थान्वयभाषाः - [१] (तुरस्य) = कर्मों को (त्वरा) = से करते हुए (विधतः) = उपासक का कर्म के द्वारा उपासना करते हुए पुरुष का (उदरम्) = उदर आभ्यन्तर प्रदेश (इत्) = निश्चय से (क्रत्वः) = शक्ति व प्रज्ञान से (पूर्णम्) = परिपूर्ण (अस्ति) = होता है। इसका प्राणमयकोश शक्ति से परिपूर्ण होता है, तो इसका विज्ञानमयकोश ज्ञान से परिपूर्ण हुआ करता है। [२] (वृत्रघ्नः) = ज्ञान की आवरणभूत वासना का विनाश करनेवाले और इस (सोमपाव्नः) = सोम का [वीर्य का] रक्षण करनेवाले पुरुष का उदर क्रतु से पूर्ण हुआ करता है । सोम ने ही तो शरीर में शक्ति व मस्तिष्क में ज्ञान की स्थापना करनी है।
भावार्थभाषाः - भावार्थ- हम त्वरा से कर्त्तव्य कर्मों को करते हुए प्रभु का पूजन करें। वासना को विनष्ट करते हुए सोम का रक्षण करनेवाले बनें। इस प्रकार हम शक्ति व ज्ञान से परिपूर्ण हृदयवाले बनेंगे।
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शिव शंकर शर्मा

पदार्थान्वयभाषाः - हे इन्द्र ! त्वदन्यः कश्चित्। वृधीकः=वर्धयिता। नकीम्=नैवास्ति। ते=त्वत्तोऽन्यः। सुसाः=सुष्ठु संभक्ता नैवास्ति। उत=अपि च। सुदाः=सुष्ठु दाता नैव। हे शूर ! त्वत्=त्वत्तः। अन्यः। वाघतः=धार्मिकस्य पुरुषस्य नेता नास्ति। अतो ममापि प्रार्थनां शृणु ॥४॥
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डॉ. तुलसी राम

पदार्थान्वयभाषाः - He is the doer, perfect and ever self-fulfilled is the passion and desire of the lord who is all conqueror, all ordainer, destroyer of evil and darkness, and loves the peace and joy of life’s beauty and ecstasy as soma.