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ज॒ज्ञा॒नो नु श॒तक्र॑तु॒र्वि पृ॑च्छ॒दिति॑ मा॒तर॑म् । क उ॒ग्राः के ह॑ शृण्विरे ॥

अंग्रेज़ी लिप्यंतरण

jajñāno nu śatakratur vi pṛcchad iti mātaram | ka ugrāḥ ke ha śṛṇvire ||

मन्त्र उच्चारण
पद पाठ

ज॒ज्ञा॒नः । नु । श॒तऽक्र॑तुः । वि । पृ॒च्छ॒त् । इति॑ । मा॒तर॑म् । के । उ॒ग्राः । के । ह॒ । शृ॒ण्वि॒रे॒ ॥ ८.७७.१

ऋग्वेद » मण्डल:8» सूक्त:77» मन्त्र:1 | अष्टक:6» अध्याय:5» वर्ग:29» मन्त्र:1 | मण्डल:8» अनुवाक:8» मन्त्र:1


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शिव शंकर शर्मा

पदार्थान्वयभाषाः - हे इन्द्र ! इस जगत् को (ओजसा+सह) बल से (उत्तिष्ठन्) उठाता हुआ अर्थात् इसको बल से युक्त करता हुआ और (शिप्रे) हनुस्थानीय द्युलोक और पृथिवीलोक को (पीत्वी) उपद्रवों से बचाता हुआ तू दुष्टों को (अवेपयः) डरा। हे प्रभो ! (चमू) इन द्युलोक भूलोकों के मध्य (सुतम्) विराजित (सोमम्) सोम आदि सकल पदार्थों को कृपादृष्टि से देख ॥१०॥
भावार्थभाषाः - वही प्रभु सबको बल और शक्ति देता और वही रक्षक है, अन्य नहीं ॥१०॥
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हरिशरण सिद्धान्तालंकार

के उग्राः ?

पदार्थान्वयभाषाः - [१] यहाँ काव्यमय भाषा में उत्पन्न होता हुआ बालक माता से पूछता है और माता उसे अगले मन्त्र में उतार देती है। वस्तुतः माता ही लोरियाँ देते हुए इस प्रकार की ही बात प्रश्नोत्तर के ढंग से करती है। (जज्ञान: नु) = प्रादुर्भूत होता हुआ ही (शतक्रतुः) = ये शतवर्ष पर्यन्त शक्ति व प्रज्ञानवाला बालक, (मातरम्) = माता से (इति) = यह (वि पृच्छात्) = पूछता है कि ये (उग्राः) = कौन भयंकर शत्रु हैं ? (के) = कौन (ह) = निश्चय से शृण्विरे लोक में उग्रशत्रु सुने जाते हैं? अर्थात् मैंने इस जीवन में किन भयंकर शत्रुओं का सामना करना है? [२] इस प्रश्न को सुनकर माता उसे अगले मन्त्र में उत्तर देती है कि इन-इन शत्रुओं को तूने जीतना है।
भावार्थभाषाः - भावार्थ- माता उत्पन्न हुए बालक के साथ प्रारम्भ से ही इस प्रकार बातचीत करे कि बालक पर सुन्दर प्रभाव पड़े, वह किन्हीं भी वासनारूप शत्रुओं का शिकार न हो जाये।
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शिव शंकर शर्मा

पदार्थान्वयभाषाः - हे इन्द्र ! इदं जगत्। ओजसा सह=बलेन सार्धम्। उत्तिष्ठन्=उत्थापयन्। शिप्रे=द्यावापृथिव्यौ। हनुस्थानीयौ। पीत्वी=पालयित्वा। दुष्टान्। अवेपयः=कम्पय। तथा। चमू=द्यावापृथिव्यौ। तयोर्मध्ये सुतं+सोमम्। रक्ष ॥१०॥
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डॉ. तुलसी राम

पदार्थान्वयभाषाः - Coming to the stage of self-knowledge and responsibility, let Indra, world ruler, ask the mother power: Who are the terrible ones? Who are the notorious ones?