वांछित मन्त्र चुनें

यो वां॒ रजां॑स्यश्विना॒ रथो॑ वि॒याति॒ रोद॑सी । अन्ति॒ षद्भू॑तु वा॒मव॑: ॥

अंग्रेज़ी लिप्यंतरण

yo vāṁ rajāṁsy aśvinā ratho viyāti rodasī | anti ṣad bhūtu vām avaḥ ||

मन्त्र उच्चारण
पद पाठ

यः । वा॒म् । रजां॑सि । अ॒श्वि॒ना॒ । रथः॑ । वि॒ऽयाति॑ । रोद॑सी॒ इति॑ । अन्ति॑ । सत् । भू॒तु॒ । वा॒म् । अवः॑ ॥ ८.७३.१३

ऋग्वेद » मण्डल:8» सूक्त:73» मन्त्र:13 | अष्टक:6» अध्याय:5» वर्ग:20» मन्त्र:3 | मण्डल:8» अनुवाक:8» मन्त्र:13


0 बार पढ़ा गया

शिव शंकर शर्मा

अब राजा के कर्त्तव्य को कहते हैं।

पदार्थान्वयभाषाः - (वृषण्वसू) हे बहुधनदाता राजा और अमात्य ! आप दोनों (इह) इस मेरे स्थान में (आगतम्) आवें और आकर (मे) मेरे (इमम्+हवम्) इस आह्वान=प्रार्थना को (शृणुतम्) सुनें। अन्ति० ॥१०॥
0 बार पढ़ा गया

हरिशरण सिद्धान्तालंकार

रजांसि वियाति

पदार्थान्वयभाषाः - [१] हे (अश्विना) = प्राणापानो (यः) = जो (वां) = आपका (रथः) = यह शरीररूप रथ है, अर्थात् जिस शरीररूप रथ में प्राणसाधना नियम से चलती है, वह रथ (रजांसि) [ज्योतिरज उच्यते रजते: नि० ४.२९] = ज्योतियों को (वियाति) = विशेष रूप से प्राप्त होता है। प्राणसाधना से दोषों का दहन होकर यह रथ ज्योतिर्मय हो उठता है। [२] यह प्राणापान का रथ (रोदसी) = द्यावापृथिवी को मस्तिष्क व शरीर को विशेष रूप से प्राप्त होता है। प्राणसाधना से मस्तिष्क बनता है, तो शरीर सबल होता है। हे प्राणापानो! (वाम् अवः) = आपका रक्षण (सत्) = उत्तम है और यह (अन्ति भूतु) = हमें समीपता से प्राप्त हो।
भावार्थभाषाः - भावार्थ- प्राणसाधना से जीवन ज्योतिर्मय बनता है। मस्तिष्क दीप्त होता है और शरीर सबल बनता है।
0 बार पढ़ा गया

शिव शंकर शर्मा

राजकर्त्तव्यमाह।

पदार्थान्वयभाषाः - हे वृषण्वसू ! वृषाणि=वर्षितॄणि=वर्षाकारीणि वसूनि धनानि ययोस्तौ वृषण्वसू=बहुधनदौ ! युवाम्। इह=मम स्थाने। आगतं=आगच्छतम्। आगत्य च मे मम। इमं हवमाह्वानं प्रार्थनाम्। शृणुतम्। अति० ॥१०॥
0 बार पढ़ा गया

डॉ. तुलसी राम

पदार्थान्वयभाषाः - Come by that chariot of yours which goes around to various regions of the universe and specially goes over the tracks of heaven, earth and sky. Pray let your protections be with us at the closest wherever you roam around.