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मा नो॑ हे॒तिर्वि॒वस्व॑त॒ आदि॑त्याः कृ॒त्रिमा॒ शरु॑: । पु॒रा नु ज॒रसो॑ वधीत् ॥

अंग्रेज़ी लिप्यंतरण

mā no hetir vivasvata ādityāḥ kṛtrimā śaruḥ | purā nu jaraso vadhīt ||

मन्त्र उच्चारण
पद पाठ

मा । नः॒ । हे॒तिः । वि॒वस्व॑तः । आदि॑त्याः । कृ॒त्रिमा॑ । शरुः॑ । पु॒रा । नु । ज॒रसः॑ । व॒धी॒त् ॥ ८.६७.२०

ऋग्वेद » मण्डल:8» सूक्त:67» मन्त्र:20 | अष्टक:6» अध्याय:4» वर्ग:54» मन्त्र:5 | मण्डल:8» अनुवाक:7» मन्त्र:20


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शिव शंकर शर्मा

पदार्थान्वयभाषाः - इस ऋचा से विनय की प्रार्थना करते हैं, यथा−(प्रचेतसः) हे ज्ञानिवर, हे उदारचेता, हे सुबोद्धा (देवाः) विद्वानो ! उन पुरुषों को (जीवसे) वास्तविक मानव-जीवन प्राप्त करने के लिये (कृणुथ) सुशिक्षित बनाओ, जो जन (शश्वन्तम्+हि) अपराध और पाप करने में सदा अभ्यासी हो गए हैं, परन्तु (एनसः) उनको करके पश्चात्ताप के लिये (प्रतियन्तम्) जो आपके शरण में आ रहे हैं, उन्हें आप सुशिक्षित और सदाचारी बनाने का प्रयत्न करें ॥१७॥
भावार्थभाषाः - पापियों, अपराधियों, चोरों, व्यसनियों इत्यादि प्रकार के मनुष्यों को अच्छा बनाना भी राष्ट्र का काम है ॥१७॥
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हरिशरण सिद्धान्तालंकार

पूर्ण जीवन

पदार्थान्वयभाषाः - [१] हे (आदित्याः) = आदित्य विद्वानो ! (नः) = हमें (विवस्वतः) = इस किरणोंवाले सूर्य की (कृत्रिमा) = क्रिया से निर्वृत्त [सम्पादित] (शरु:) = रोगकृमिनाशक (हेति:) = शक्तिरूप शस्त्र (जरसः पुरा) = पूर्ण वृद्धावस्था से पूर्व (नु) = निश्चय से (मा वधीत्) = मत नष्ट होने दे। [२] हम सूर्य के सम्पर्क में क्रियाशील जीवन बिताते हुए पूर्ण वृद्धावस्था को बितानेवाले हों। सूर्य की किरणों में रोगकृमिनाशक शक्ति है। उसका हम लाभ लें। इन सूर्य किरणों के सेवन के लिए भी हम धूप में लेटे न रहें- क्रियाशील जीवन बिताएँ । यह मन्त्र 'कृत्रिमा' शब्द से व्यक्त किया गया है।
भावार्थभाषाः - भावार्थ- सूर्य किरणों के सम्पर्क में क्रियाशील जीवन हमें दीर्घजीवी बनाए।
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शिव शंकर शर्मा

पदार्थान्वयभाषाः - अनया विनयं प्रार्थयते। यथा−हे प्रचेतसः=हे प्रकृष्टज्ञानाः ! सुबोद्धारः ! हे देवाः=विद्वांसः ! शश्वन्तं हि=अपराधाय सदाभ्यस्तमपि। एनसः=पापात्=पापं विधाय प्रतियन्तं चित्। कृणुथ=कुरुत ॥१७॥
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डॉ. तुलसी राम

पदार्थान्वयभाषाः - O Adityas, brilliant powers of nature and humanity, let not the onslaught of time or an artificial weapon made by man strike us before we have lived and enjoyed a full age of fulfilment to the last day of old age.