देवता: आदित्याः
ऋषि: मत्स्यः साम्मदो मान्यो वा मैत्रावरुणिर्बहवो वा मत्स्या जालनध्दाः
छन्द: गायत्री
स्वर: षड्जः
अ॒ने॒हो न॑ उरुव्रज॒ उरू॑चि॒ वि प्रस॑र्तवे । कृ॒धि तो॒काय॑ जी॒वसे॑ ॥
अंग्रेज़ी लिप्यंतरण
मन्त्र उच्चारण
aneho na uruvraja urūci vi prasartave | kṛdhi tokāya jīvase ||
पद पाठ
अ॒ने॒हः । नः॒ । उ॒रु॒ऽव्र॒जे॒ । उरू॑चि । वि । प्रऽस॑र्तवे । कृ॒धि । तो॒काय॑ । जी॒वसे॑ ॥ ८.६७.१२
ऋग्वेद » मण्डल:8» सूक्त:67» मन्त्र:12
| अष्टक:6» अध्याय:4» वर्ग:53» मन्त्र:2
| मण्डल:8» अनुवाक:7» मन्त्र:12
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शिव शंकर शर्मा
पदार्थान्वयभाषाः - (अविष्यवः) हे रक्षितृसभाध्यक्षो ! (वृजिनानाम्) पापिष्ठ हिंसक (रिपूणाम्) शत्रुओं की (मृचा) हत्या हिंसा (नः+मा) हम लोगों के मध्य न आवे। (देवाः) हे देवो ! वैसा प्रबन्ध आप (अभि) सब तरफों से (अमृक्षत) करें ॥९॥
भावार्थभाषाः - सभाध्यक्षगण वैसा प्रबन्ध करें, जिससे प्रजाओं में कोई बाधा न आने पावे ॥९॥
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हरिशरण सिद्धान्तालंकार
उरुव्रजा = उरूची
पदार्थान्वयभाषाः - [१] हे (उरुव्रजे) = [व्रज गतौ] विशाल गति की देवते, अर्थात् क्रियाशीलते! तू (नः) = हमें (अनेहः) = निष्पाप (कृधि) = कर । हे (उरूचि) = [उरू अञ्च् पूजने] उस विशाल प्रभु की पूजन की वृत्ति ! तू हमें (विप्रसर्तवे) = विशिष्ट व प्रकृष्ट गति के लिए करनेवाली हो । प्रभुपूजन करते हुए हम उत्तम गतिवाले हों। [२] हे (उरुव्रजे) = व उरूचि ! तू हमें (तोकाय) = उत्तम सन्तानों की प्राप्ति के लिए तथा (जीवसे) = दीर्घजीवन के लिए (कृधि) = कर |
भावार्थभाषाः - भावार्थ- हम क्रियाशील बनकर निष्पाप हों। उस विशाल प्रभु का पूजन करते हुए प्रकृष्ट गतिवाले हों। हम उत्तम सन्तानों व दीर्घजीवन को प्राप्त करें।
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शिव शंकर शर्मा
पदार्थान्वयभाषाः - हे अविष्यवः=रक्षितारः सभाध्यक्षाः ! वृजिनानाम्= हिंसकानां पापिनाम्। रिपूणां=शत्रूणाम्। मृचा=हिंसा, हत्या नः अस्माकं मध्ये। मा भूत्। मृचिर्हिंसाकर्मा। हे देवाः ! यूयम्। तथा अभि=अभितः। प्रमृक्षत= परिमार्जयत प्रबन्धं कुरुत ॥९॥
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डॉ. तुलसी राम
पदार्थान्वयभाषाः - Sacred and sovereign mother of vast extensive powers, save us from sin and violence to range over the earth and strengthen us that not only we but also our coming generations may live happy and free.
