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अग्न॒ आ या॑ह्य॒ग्निभि॒र्होता॑रं त्वा वृणीमहे । आ त्वाम॑नक्तु॒ प्रय॑ता ह॒विष्म॑ती॒ यजि॑ष्ठं ब॒र्हिरा॒सदे॑ ॥

अंग्रेज़ी लिप्यंतरण

agna ā yāhy agnibhir hotāraṁ tvā vṛṇīmahe | ā tvām anaktu prayatā haviṣmatī yajiṣṭham barhir āsade ||

मन्त्र उच्चारण
पद पाठ

अग्ने॑ । आ । या॒हि॒ । अ॒ग्निऽभिः॑ । होता॑रम् । त्वा॒ । वृ॒णी॒म॒हे॒ । आ । त्वाम् । अ॒न॒क्तु॒ । प्रऽय॑ता । ह॒विष्म॑ती । यजि॑ष्ठम् । ब॒र्हिः । आ॒ऽसदे॑ ॥ ८.६०.१

ऋग्वेद » मण्डल:8» सूक्त:60» मन्त्र:1 | अष्टक:6» अध्याय:4» वर्ग:32» मन्त्र:1 | मण्डल:8» अनुवाक:7» मन्त्र:1


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हरिशरण सिद्धान्तालंकार

अग्नियों के साथ 'अग्नि'

पदार्थान्वयभाषाः - [१] हे (अग्ने) = अग्रणी प्रभो! आप (अग्निभिः) = उत्तम मातारूप दक्षिणाग्नि, उत्तम पितारूप गार्हपत्य अग्नि तथा उत्तम आचार्यरूप आहवनीय अग्नि के साथ (आयाहि) = हमें प्राप्त होइये । (होतारं) = सब कुछ देनेवाले (त्वा) = आपको (वृणीमहे) = वरते हैं। आपकी प्राप्ति से सब कुछ प्राप्त हो ही जाता है। [२] (यजिष्ठं) = अतिशयेन पूजनीय (त्वाम्) = तुझे (बर्हिः आसदे) = हमारे हृदयासन पर बिठाने के लिए (हविष्मती) = हवि से युक्त यह (प्रयता) = पवित्र वेदवाणी (अनक्तु) = हमारे जीवनों में प्राप्त कराए। 'यज्ञ व ज्ञान' हमें प्रभु के समीप प्राप्त करानेवाले हों।
भावार्थभाषाः - भावार्थ - उत्तम माता-पिता व आचार्य को प्राप्त करके ज्ञान को प्राप्त करते हुए हम प्रभु के समीप पहुँचते हैं। यज्ञों से युक्त पवित्र वेदवाणी हमें प्रभु की समीपता में प्राप्त कराती है।
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डॉ. तुलसी राम

पदार्थान्वयभाषाः - Agni, universal fire of life, come with other fires such as the sun. We opt to worship you alone, the cosmic yajamana. The yajaka people holding ladlefuls of havi would honour and celebrate you and seat you on the holy grass.