वांछित मन्त्र चुनें

प॒रि॒ह्वृ॒तेद॒ना जनो॑ यु॒ष्माद॑त्तस्य वायति । देवा॒ अद॑भ्रमाश वो॒ यमा॑दित्या॒ अहे॑तनाने॒हसो॑ व ऊ॒तय॑: सु॒तयो॑ व ऊ॒तय॑: ॥

अंग्रेज़ी लिप्यंतरण

parihvṛted anā jano yuṣmādattasya vāyati | devā adabhram āśa vo yam ādityā ahetanānehaso va ūtayaḥ suūtayo va ūtayaḥ ||

मन्त्र उच्चारण
पद पाठ

प॒रि॒ऽह्वृ॒ता । इत् । अ॒ना । जनः॑ । यु॒ष्माऽद॑त्तस्य । वा॒य॒ति॒ । देवाः॑ । अद॑भ्रम् । आ॒श॒ । वः॒ । यम् । आ॒दि॒त्याः॒ । अहे॑तन । अ॒ने॒हसः॑ । वः॒ । ऊ॒तयः॑ । सु॒ऽऊ॒तयः॑ । वः॒ । ऊ॒तयः॑ ॥ ८.४७.६

ऋग्वेद » मण्डल:8» सूक्त:47» मन्त्र:6 | अष्टक:6» अध्याय:4» वर्ग:8» मन्त्र:1 | मण्डल:8» अनुवाक:6» मन्त्र:6


0 बार पढ़ा गया

शिव शंकर शर्मा

पदार्थान्वयभाषाः - हे सभाध्यक्षजनो ! (न+वयः+पक्षा) जैसे पक्षिगण अपने शिशुओं के ऊपर पक्ष रखते हैं, तद्वत् आप (अस्मे+अधि) हम मनुष्यों के ऊपर (तत्+शर्म) उस कल्याण को (वि+यन्तन) विस्तीर्ण कीजिये (विश्ववेदसः) हे सर्वधनोपेत श्रेष्ठ जनो ! हम प्रजागण (विश्वानि) समस्त (वरूथ्या) गृहोचित धन (मनामहे) आपसे चाहते हैं, कृपाकर उन्हें पूर्ण करें। (अनेहसः) इत्यादि पूर्ववत् ॥३॥
0 बार पढ़ा गया

हरिशरण सिद्धान्तालंकार

अदन धन

पदार्थान्वयभाषाः - [१] (परिहृता इत् अना) = तप नियम आदि से परिपीड़ित शरीर से ही युक्त (जनः) = मनुष्य (युष्मादत्तस्य) = हे देवो! आपसे दिये हुए धन को (वायति) = प्राप्त होता है। [२] हे (आशवः) = शीघ्र गतिवाले (आदित्याः) = अच्छाइयों का आदान करनेवाले (देवा:) = देवो! आप (यं) = जिसको (अहेतन) = व्याप्त करते हो-प्राप्त होते हो, वह वह (अदभ्रं) = अनल्प बहुत अधिक धन को प्राप्त होता है । (वः) = तुम्हारे (ऊतयः) = रक्षण (अनेहसः) = हमें निष्पाप बनानेवाले हैं। (वः) = आपके (ऊतयः) = रक्षण (सु ऊतयः) = उत्तम रक्षण हैं।
भावार्थभाषाः - भावार्थ-तपस्वी पुरुष ही आदित्यों से अनल्प धन को प्राप्त करता है।
0 बार पढ़ा गया

शिव शंकर शर्मा

पदार्थान्वयभाषाः - हे सभाध्यक्षाः ! न=यथा। वयः=पक्षिणः स्वशिशूनामुपरि। पक्षा=पक्षौ प्रसारयन्ति। तथैव यूयम्। अस्मे+अधि=अस्माकमुपरि। तत् शर्म। वियन्तन=विस्तारयत। हे विश्ववेदसः=सर्वधनाः ! युष्मान्। विश्वानि=सर्वाणि। वरूथ्या=वरूथ्यानि=वरूथं गृहम्। तदुचितानि धनानि। मनामहे=याचामहे। अनेहस इत्यादि गतम् ॥३॥
0 बार पढ़ा गया

डॉ. तुलसी राम

पदार्थान्वयभाषाः - Adityas, powers of light and lightning speed, even though a person might be living in distress, he raises and expands what you give him and rises to higher joy and prosperity when you approach him and bless. Sinless are your protections, holy and noble your safeguards and securities.