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देवता: वायु: ऋषि: वशोऽश्व्यः छन्द: बृहती स्वर: मध्यमः

श॒तं दा॒से ब॑ल्बू॒थे विप्र॒स्तरु॑क्ष॒ आ द॑दे । ते ते॑ वायवि॒मे जना॒ मद॒न्तीन्द्र॑गोपा॒ मद॑न्ति दे॒वगो॑पाः ॥

अंग्रेज़ी लिप्यंतरण

śataṁ dāse balbūthe vipras tarukṣa ā dade | te te vāyav ime janā madantīndragopā madanti devagopāḥ ||

मन्त्र उच्चारण
पद पाठ

श॒तम् । दा॒से । ब॒ल्बू॒थे । विप्रः॑ । तरु॑क्षे । आ । द॒दे॒ । ते । ते॒ । वा॒यो॒ इति॑ । इ॒मे । जनाः॑ । मद॑न्ति । इन्द्र॑ऽगोपाः । मद॑न्ति । दे॒वऽगो॑पाः ॥ ८.४६.३२

ऋग्वेद » मण्डल:8» सूक्त:46» मन्त्र:32 | अष्टक:6» अध्याय:4» वर्ग:6» मन्त्र:7 | मण्डल:8» अनुवाक:6» मन्त्र:32


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हरिशरण सिद्धान्तालंकार

इन्द्रगोपाः - देवगोपाः

पदार्थान्वयभाषाः - [१] (विप्रः) = अपना विशेषरूप से पूरण करनेवाला व्यक्ति दासे शत्रुओं का उपक्षय होने पर तथा (बल्बूथे) = बल का गृह बनने पर (तरुक्षः) = उस तारक प्रभु में [क्षि निवासे] निवास करनेवाला होता हुआ (शतं) = शतवर्ष के जीवन को (आददे) = ग्रहण करता है। [२] हे (वायो) = गति के द्वारा सब बुराइयों का गन्धन करनेवाले प्रभो ! (इमे जनाः) = ये लोग ते आपके हैं और (ते) = वे (इन्द्रगोपाः) = परमैश्वर्यशाली प्रभु से रक्षित होते हुए [इन्द्रः गोपाः येषां ] (मदन्ति) = आनन्द का अनुभव करते हैं। (देवगोपाः) = दिव्यगुणों का रक्षण करनेवाले ये लोग [देवानां गोपाः] (मदन्ति) = आनन्दित होते हैं।
भावार्थभाषाः - भावार्थ- हम वासनाओं का क्षय करके तथा बल का गृह बनकर प्रभु में निवास करते हुए सौ वर्ष तक जीनेवाले बनें। प्रभु से रक्षित होते हुए और दिव्यगुणों का रक्षण करते हुए हम आनन्दित हों ।
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डॉ. तुलसी राम

पदार्थान्वयभाषाः - The man of power and prosperity has given away a hundred, the vibrant sage and saviour has received. O Vayu, your beneficiaries, these people, protected and supported by Indra, the generous, rejoice, celebrate and exhilarate you.