अध॒ यच्चार॑थे ग॒णे श॒तमुष्ट्राँ॒ अचि॑क्रदत् । अध॒ श्वित्ने॑षु विंश॒तिं श॒ता ॥
अंग्रेज़ी लिप्यंतरण
मन्त्र उच्चारण
adha yac cārathe gaṇe śatam uṣṭrām̐ acikradat | adha śvitneṣu viṁśatiṁ śatā ||
पद पाठ
अध॑ । यत् । चार॑थे । ग॒णे । श॒तम् । उष्ट्रा॑न् । अचि॑क्रदत् । अध॑ । श्वित्ने॑षु । विं॒श॒तिम् । श॒ता ॥ ८.४६.३१
ऋग्वेद » मण्डल:8» सूक्त:46» मन्त्र:31
| अष्टक:6» अध्याय:4» वर्ग:6» मन्त्र:6
| मण्डल:8» अनुवाक:6» मन्त्र:31
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हरिशरण सिद्धान्तालंकार
चारथ गण की शुद्धता
पदार्थान्वयभाषाः - [१] शरीर चरथ हैं। इसमें इन्द्रियों का समूह व प्राणों का समूह 'चारथ गण' है। (अध) = अब (यत्) = जब (चारथे गणे) = इस शरीरस्थ इन्द्रियसमूह व प्राणसमूह में (शतं) = शतवर्षपर्यन्त (उष्ट्रान्) [उष दाहे ] = दोषदहन की वृत्तियों शक्तियों को (अचिक्रदत्) = पुकारता है (अध) = तो (श्वित्नेषु) = इन श्वेतगणों में (विंशतिं) = बीस दोषदहन प्रक्रियाओं को (शता) = शतवर्षपर्यन्त प्राप्त करता है । [२] प्रभु से यही प्रार्थना करनी चाहिए कि वे हमारे इन्द्रियसमूह व प्राणसमूहों को दग्धदोष करें, और इन बीस संख्यावाले प्राणेन्द्रिय समूह में शतवर्षपर्यन्त ये दोषदहन प्रक्रियाएँ चलती रहें।
भावार्थभाषाः - भावार्थ- हमारा इन्द्रियों व प्राणों का समूह दोषदहन से निर्दोष बने। यह समूह निर्मल व श्वेत बन जाएँ।
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डॉ. तुलसी राम
पदार्थान्वयभाषाः - And then the blessed man calls for a hundred camels and twenty hundred from amongst the white herd, all out of the active and working ones, for giving away to the needy.
