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प्र॒भ॒ङ्गं दु॑र्मती॒नामिन्द्र॑ शवि॒ष्ठा भ॑र । र॒यिम॒स्मभ्यं॒ युज्यं॑ चोदयन्मते॒ ज्येष्ठं॑ चोदयन्मते ॥

अंग्रेज़ी लिप्यंतरण

prabhaṅgaṁ durmatīnām indra śaviṣṭhā bhara | rayim asmabhyaṁ yujyaṁ codayanmate jyeṣṭhaṁ codayanmate ||

मन्त्र उच्चारण
पद पाठ

प्र॒ऽभ॒ङ्गम् । दुः॒ऽम॒ती॒नाम् । इन्द्र॑ । श॒वि॒ष्ठ॒ । आ । भ॒र॒ । र॒यिम् । अ॒स्मभ्य॑म् । युज्य॑म् । चो॒द॒य॒त्ऽम॒ते॒ । ज्येष्ठ॑म् । चो॒द॒य॒त्ऽम॒ते॒ ॥ ८.४६.१९

ऋग्वेद » मण्डल:8» सूक्त:46» मन्त्र:19 | अष्टक:6» अध्याय:4» वर्ग:4» मन्त्र:4 | मण्डल:8» अनुवाक:6» मन्त्र:19


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शिव शंकर शर्मा

पदार्थान्वयभाषाः - हम उपासक गण (विश्वेषाम्+वसूनाम्) सर्वसम्पत्तियों के (इरज्यन्तम्) स्वामी परमेश्वर की स्तुति प्रार्थना करते हैं, जो (सासह्वांसम्) हमारे निखिल विघ्नों, रोगों और मानसिक क्लेशों का निवारण करनेवाला है, जो (अस्य+वर्पसः+चित्) इस संसार के सब रूपों का भी स्वामी है। जो रूप (नूनम्) इस समय या (अथ) आगे (अति कृपयतः) होनेवाला है, उस सबका वही स्वामी है ॥१६॥
भावार्थभाषाः - परमात्मा सर्वसम्पत्तियों और सर्व रूपरङ्गों का अधिपति है, उसकी उपासना हम करते हैं और इसी प्रकार सब करें ॥१६॥
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हरिशरण सिद्धान्तालंकार

दुर्मति विनाश तथा 'ज्येष्ठ युज्य' धन की प्राप्ति

पदार्थान्वयभाषाः - [१] हे (इन्द्र) = परमैश्वर्यशालिन् (शविष्ठ) = अतिशयेन शक्तिसम्पन्न (चोदयन्मते) = बुद्धि को प्रेरित करनेवाले प्रभो ! हमारे लिए (दुर्मतीनो प्रभंङ्ग) = दुर्मतियों के विनाश को (आभर) = पुष्ट करिये। आपके अनुग्रह से हमारी सब दुर्मतियाँ दूर हों। [२] हे (चोदयन्मते) = उत्तम बुद्धियों को प्रेरित करनेवाले प्रभो ! आप (अस्मभ्यं) = हमारे लिए (ज्येष्ठं) = अतिप्रशस्त व (युज्यं) = योग्य - हमारे लिए उचित अथवा हमें सबके साथ मिलानेवाले (रयिं) = धन को प्राप्त कराइये।
भावार्थभाषाः - भावार्थ- प्रभु हमारी बुद्धियों को सत्प्ररेणा देकर दुर्मतियों को दूर करिये और प्रशस्त सबके साथ मेल करानेवाले धन को प्राप्त कराइये ।
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शिव शंकर शर्मा

पदार्थान्वयभाषाः - विश्वेषां=सर्वेषाम्। वसूनाम्=धनानाम् इरज्यन्तमीशानां स्वामिनं परमात्मानम्। वयं स्तुमः। कीदृशम्। सासह्वांसम्=सर्वेषां विघ्नानामभिभवितारम्। पुनः। नूनमिदानीम्। अथ=भविष्यति काले च। अतिकृपयतः=अतिशयेन कल्पयतो धारयतः। अस्य दृश्यमानस्य। वर्पसो रूपस्य चिदपि। ईशानम् ॥१६॥
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डॉ. तुलसी राम

पदार्थान्वयभाषाः - Indra, lord most potent, bring us the intelligence and other means to break down the negative and anti social thoughts and actions of adversaries. O lord inspirer of right thinking, bring us the mind and materials usable in constructive thinking and planning and bring us the best and highest thought and competence, O lord inspirer of rational and scientific minds.