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अ॒भि वो॑ वी॒रमन्ध॑सो॒ मदे॑षु गाय गि॒रा म॒हा विचे॑तसम् । इन्द्रं॒ नाम॒ श्रुत्यं॑ शा॒किनं॒ वचो॒ यथा॑ ॥

अंग्रेज़ी लिप्यंतरण

abhi vo vīram andhaso madeṣu gāya girā mahā vicetasam | indraṁ nāma śrutyaṁ śākinaṁ vaco yathā ||

मन्त्र उच्चारण
पद पाठ

अ॒भि । वः॒ । वी॒रम् । अन्ध॑सः । मदे॑षु । गा॒य॒ । गि॒रा । म॒हा । विऽचे॑तसम् । इन्द्र॑म् । नाम॑ । श्रुत्य॑म् । शा॒किन॑म् । वचः॑ । यथा॑ ॥ ८.४६.१४

ऋग्वेद » मण्डल:8» सूक्त:46» मन्त्र:14 | अष्टक:6» अध्याय:4» वर्ग:3» मन्त्र:4 | मण्डल:8» अनुवाक:6» मन्त्र:14


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शिव शंकर शर्मा

पुनः उसी अर्थ को दृढ़ करते हैं।

पदार्थान्वयभाषाः - (शूर) हे महावीर महेश ! (ते) तेरे (राधसः) पूज्य धन का (अन्तम्) अन्त में उपासक (सत्रा) सत्य ही (नहि+विन्दामि) नहीं पाता हूँ, इस कारण (मघवन्) हे महा धनेश (अद्रिवः) हे महादण्डधर इन्द्र ! (नू+चित्) शीघ्र ही (नः) हमको (दशस्य) दान दे तथा (वाजेभिः) ज्ञानों और धनों से हमारे (धियः) कर्मों की (आविथ) रक्षा करो ॥११॥
भावार्थभाषाः - इसमें सन्देह नहीं कि उसके धन का अन्त नहीं है। ईश्वर के समान हम उपासक उससे आवश्यकता निवेदन करें और उसी की इच्छा पर छोड़ देवें ॥११॥
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हरिशरण सिद्धान्तालंकार

वीरं, विचेतसं, श्रुत्यं शाकिनम्

पदार्थान्वयभाषाः - [१] (वः वीरं) = तुम्हारे शत्रुओं के कम्पित करनेवाले [वि + ईर् ] (महा विचेतसम्) = महान् विशिष्ट प्रज्ञानवाले प्रभु को (अन्धसः मदेषु) = सोमपानजनित मदों में (गिरा) = इस ज्ञान की वाणियों के द्वारा (अभिगाय) = तू गायन कर । [२] तू (इन्द्रं) = शत्रुओं का विद्रावण करनेवाले, (नाम) = शत्रुओं को नमानेवाले-झुका देनेवाले (श्रुत्यं) = ज्ञान में प्रसिद्ध (शाकिनं) = शक्तिशाली - हमें शक्तिशाली बनानेवाले- प्रभु को (वचो यथा) = वेदवाणी के अनुसार स्तुत कर ।
भावार्थभाषाः - भावार्थ- प्रभु वीर व विचेता हैं- शत्रुओं को नष्ट करनेवाले व ज्ञानी हैं। वे ज्ञान में प्रसिद्ध व शक्तिशाली हैं। इन प्रभु का हम स्तवन करें।
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शिव शंकर शर्मा

पुनस्तमर्थं द्रढयति।

पदार्थान्वयभाषाः - हे शूर=महावीर महेश ! ते=तव। राधसः=राधनीयस्य धनस्य। अन्तम्। अहमुपासकः। सत्रा=सत्यम्। नहि। विन्दामि। लभे। अतः। नोऽस्मभ्यम्। हे मघवन् महा धनेश ! हे अद्रिवः=महादण्डधर ! नूचित् क्षिप्रमेव। दशस्य=देहि धनम्। पुनः। वाजेभिर्ज्ञानैर्धनैश्च। अस्माकं धियः कर्माणि। आविथ=रक्ष ॥११॥
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डॉ. तुलसी राम

पदार्थान्वयभाषाः - In the ecstasy of your soma celebration, with the best of word and voice, sing in praise of Indra, mighty brave, highly knowledgeable and wise, renowned of name and versatile in power and competence.