यस्य॑ ते वि॒श्वमा॑नुषो॒ भूरे॑र्द॒त्तस्य॒ वेद॑ति । वसु॑ स्पा॒र्हं तदा भ॑र ॥
अंग्रेज़ी लिप्यंतरण
मन्त्र उच्चारण
yasya te viśvamānuṣo bhūrer dattasya vedati | vasu spārhaṁ tad ā bhara ||
पद पाठ
यस्य॑ । ते॒ । वि॒श्वऽमा॑नुषः । भूरेः॑ । द॒त्तस्य॑ । वेद॑ति । वसु॑ । स्पा॒र्हम् । तत् । आ । भ॒र॒ ॥ ८.४५.४२
ऋग्वेद » मण्डल:8» सूक्त:45» मन्त्र:42
| अष्टक:6» अध्याय:3» वर्ग:49» मन्त्र:7
| मण्डल:8» अनुवाक:6» मन्त्र:42
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शिव शंकर शर्मा
पदार्थान्वयभाषाः - हे इन्द्र ! (वचोयुजा) निज-२ वाणियों और भाषाओं से युक्त (समुद्रथौ) अनादि अचलकालरूप रथ में नियुक्त (ते) तेरे (एते) ये प्रत्यक्ष (हरी) परस्पर हरणशील स्थावर और जङ्गमरूप द्विविध संसार के (आ+गृभ्णे) तत्त्वों और नियमों को तेरी कृपा से जानता हूँ, (यद्+ईम्) जिस कारण तू (ब्रह्मभ्यः+इत्) ब्रह्मविद् पुरुषों को तू (ददः) तत्त्व जानने की शक्ति देता है ॥३९॥
भावार्थभाषाः - प्रत्येक मनुष्य को उचित है कि यथासाध्य इस संसार के नियमों और रचना प्रभृति को जाने। विद्वानों को इस ओर अधिक ध्यान देना उचित है ॥३९॥
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हरिशरण सिद्धान्तालंकार
विश्वमानुषः
पदार्थान्वयभाषाः - [१] जो केवल अपने लिए न जीकर व्यापक जीवनवाला बनता है, अपने परिवार में औरों को भी सम्मिलित कर लेता है, वह ('विश्वमानुषः') = कहलाता है। प्रभु इसे जिस धन को देते हैं, उसे यह औरों के लिए प्राप्त कराता है। हे प्रभो ! (विश्वमानुषः) = उदार मनोवृत्तिवाला पुरुष (ते) = आपके द्वारा (दत्तस्य) = दिये हुए (भूरेः) = पालन व पोषण करनेवाले (यस्य) = जिसका (वेदति) = औरों के लिए प्रापण कराता है [विद् लाभे] । (तद्) = उस स्पार्हं (वसु) = स्पृहणीय धन को (आभर:) = हमारे लिए प्राप्त कराइये।
भावार्थभाषाः - भावार्थ- हम स्वार्थी न बनकर 'विश्वमानुष' बनें। यह विश्वमानुष प्रभुप्रदत्त धन को औरों के लिए प्राप्त कराता है। ऐसा ही स्पृहणीय धन हमें भी प्राप्त हों।अपने मन को वश में करनेवाला यह 'वशः' कहलाता है। अपने इन्द्रियाश्वों को उत्तम बनाने के कारण यह 'अश्व्य' है। यह इन्द्र का स्तवन करता हुआ कहता है-
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शिव शंकर शर्मा
पदार्थान्वयभाषाः - हे इन्द्र ! वचोयुजा=वचनयुक्तौ। सुमद्रथा=कल्याणरथौ। ते तव। एता=एतौ=प्रत्यक्षौ। हरी=परस्परहरणशीलौ स्थावरजङ्गमात्मकौ संसारौ। अहमुपासकः। आगृभ्णे=आगृह्णामि=स्वीकरोमि। यद्=यस्मात् त्वम्। ब्रह्मभ्यः=तत्त्वविद्भ्य इत्। ददः=तत्त्वज्ञाने शक्तिम्। ददासि ॥३९॥
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डॉ. तुलसी राम
पदार्थान्वयभाषाः - That immense wealth discovered by you and collected, of which the people of the world know, bring that cherished treasure into the open and fill the world with it for all.
