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अ॒ग्निः प्र॒त्नेन॒ मन्म॑ना॒ शुम्भा॑नस्त॒न्वं१॒॑ स्वाम् । क॒विर्विप्रे॑ण वावृधे ॥

अंग्रेज़ी लिप्यंतरण

agniḥ pratnena manmanā śumbhānas tanvaṁ svām | kavir vipreṇa vāvṛdhe ||

मन्त्र उच्चारण
पद पाठ

अ॒ग्निः । प्र॒त्नेन॑ । मन्म॑ना । शुम्भा॑नः । त॒न्व॑म् । स्वाम् । क॒विः । विप्रे॑ण । व॒वृ॒धे॒ ॥ ८.४४.१२

ऋग्वेद » मण्डल:8» सूक्त:44» मन्त्र:12 | अष्टक:6» अध्याय:3» वर्ग:38» मन्त्र:2 | मण्डल:8» अनुवाक:6» मन्त्र:12


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शिव शंकर शर्मा

पदार्थान्वयभाषाः - (सन्त्य) हे संभजनीय हे सेवनीय (शुक्रशोचे) हे पवित्रदीप्ते परमात्मन् ! तू (समिधानः+उ) सम्यक् दीप्यमान होता हुआ मेरे योग्य अभीष्ट (इह) मेरे निकट ला, क्योंकि तू (दैव्यम्+जनम्) इस अपने सम्बन्धी जन को (चिकित्वान्) जानता हुआ है। अर्थात् तू मुझको जानता है, अतः मेरे कल्याण का वाहक बन ॥९॥
भावार्थभाषाः - मनुष्य प्रथम अपने को शुद्ध सत्य और उदार बनावे, तब ईश्वर के निकट याचना करे ॥९॥
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हरिशरण सिद्धान्तालंकार

प्रभु आत्मा हों, हम प्रभु के शरीर

पदार्थान्वयभाषाः - [१] (अग्निः) = वे अग्रणी प्रभु (प्रत्नेन मन्मना) = सनातन वेदरूप ज्ञानज्योति से (स्वाम् तन्वम्) = अपने शरीरभूत इस जीव को (शुम्भानः) = शोभित करते हैं। हमारे अन्दर प्रभु का वास है। सो हम प्रभु के शरीररूप हैं। प्रभु इस शरीर को सनातन ज्ञानज्योति से सुशोभित करते हैं। जो भी प्रभु का शरीर बनेगा, वह ज्ञानज्योति से दीप्त जीवनवाला बनेगा। [२] ये (कविः) = क्रान्तदर्शी - सर्वज्ञ प्रभु विप्रेण ज्ञानी पुरुष से (वावृधे) = स्तुतियों के द्वारा बढ़ाए जाते हैं। प्रभु का स्तवन करता हुआ यह ज्ञानी अपने अन्दर प्रभु की दिव्यता को धारण करता है। यही प्रभु का वर्धन है।
भावार्थभाषाः - भावार्थ- हम अपने अन्दर प्रभु को बिठावें । प्रभु हमें ज्ञानदीप्त बनाएँगे। इस प्रकार हमें दिव्यता प्राप्त होगी।
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शिव शंकर शर्मा

पदार्थान्वयभाषाः - हे सन्त्य ! भजनीय ! सेवनीय ! हे शुक्रशोचे ! पवित्रदीप्ते परमात्मन् ! समिधान उ=दीप्यमान एव त्वम्। इह=ममोचितमभीष्टमावह=आनय। यतस्त्वम् इमं दैव्यं त्वत्सम्बन्धिनं जनं चिकित्वान् जानन् वर्तसे मां त्वं जानासि अतो मह्यमभीष्टं देहीत्यर्थः ॥॥९
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डॉ. तुलसी राम

पदार्थान्वयभाषाः - Agni, omniscient visionary of existence, gracious and refulgent by virtue of ancient and eternal light of knowledge and age-old songs of the poet, is exalted along with the celebrant.