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अग्ने॒ नि पा॑हि न॒स्त्वं प्रति॑ ष्म देव॒ रीष॑तः । भि॒न्धि द्वेष॑: सहस्कृत ॥

अंग्रेज़ी लिप्यंतरण

agne ni pāhi nas tvam prati ṣma deva rīṣataḥ | bhindhi dveṣaḥ sahaskṛta ||

मन्त्र उच्चारण
पद पाठ

अग्ने॑ । नि । पा॒हि॒ । नः॒ । त्वम् । प्रति॑ । स्म॒ । दे॒व॒ । रिष॑तः । भि॒न्धि । द्वेषः॑ । स॒हः॒ऽकृ॒त॒ ॥ ८.४४.११

ऋग्वेद » मण्डल:8» सूक्त:44» मन्त्र:11 | अष्टक:6» अध्याय:3» वर्ग:38» मन्त्र:1 | मण्डल:8» अनुवाक:6» मन्त्र:11


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शिव शंकर शर्मा

पदार्थान्वयभाषाः - (अङ्गिरस्तम) हे सर्व देवों में पूज्यतम ! यद्वा सर्व अङ्गों के अतिशय आनन्दप्रद रसदाता (अग्ने) सर्वाधार महेश ! तू (इमा) मेरे इन (हव्यानि) हव्यसमान स्तोत्रों को (आनुषक्) अनुरक्त हो (जुषाणः) ग्रहण कर तथा (ऋतुथा) ऋतु-२ में (यज्ञम्+नय) यज्ञ करवा ॥८॥
भावार्थभाषाः - हे ईश्वर ! मुझमें तथा सर्व मनुष्यों में ऐसी शक्ति, श्रद्धा और भक्ति दे, जिनसे सर्वदा सर्व ऋतु में तेरी उपासना पूजा कर सकें ॥८॥
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हरिशरण सिद्धान्तालंकार

प्रभु की उपासना व निद्वेषता

पदार्थान्वयभाषाः - [१] हे (देव) = प्रकाशमय (अग्ने) = अग्रणी प्रभो ! (त्वं) = आप (नः) = हमें (प्रतिरीषतः) = प्रत्येक हिंसक शत्रु से - काम, क्रोध, लोभ आदि अन्तःशत्रुओं से (निपाहि स्म) = निश्चय से रक्षित करिये। [२] हे (सहस्कृतः) = बल का सम्पादन करनेवाले प्रभो ! आप (द्वेषः भिन्धि) = सब द्वेष की भावनाओं का विदारण करिये। आपकी प्रेरणा से हमारा जीवन निद्वेष बने ।
भावार्थभाषाः - भावार्थ- प्रभु हमें हिंसक काम-क्रोध आदि शत्रुओं से बचाएँ। हमें द्वेष से दूर करें।
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शिव शंकर शर्मा

पदार्थान्वयभाषाः - हे अङ्गिरस्तम ! अङ्गिरसां देवानां मध्ये पूज्यतम। यद्वा सर्वेषामङ्गानामतिशयेन रसतम ! अग्ने=सर्वाधार ईश ! अस्माकम्। इमा=इमानि। हव्यानि=हव्यानीव स्तोत्राणि। आनुषक्=अनुरक्तो भूत्वा। जुषाणः=अनुगृह्णन्। भव। पुनः। ऋतुथा=ऋतौ। यज्ञं नय ॥८॥
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डॉ. तुलसी राम

पदार्थान्वयभाषाः - Agni, self-refulgent lord of universal generosity and power, protect us from the violent and, O lord creator of the mighty universe, break down the jealous and the enemies.