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यथा॑ नो मि॒त्रो अ॑र्य॒मा वरु॑ण॒: सन्ति॑ गो॒पाः । सु॒गा ऋ॒तस्य॒ पन्था॑: ॥

अंग्रेज़ी लिप्यंतरण

yathā no mitro aryamā varuṇaḥ santi gopāḥ | sugā ṛtasya panthāḥ ||

पद पाठ

यथा॑ । नः॒ । मि॒त्रः । अ॒र्य॒मा । वरु॑णः । सन्ति॑ । गो॒पाः । सु॒ऽगाः । ऋ॒तस्य॑ । पन्थाः॑ ॥ ८.३१.१३

ऋग्वेद » मण्डल:8» सूक्त:31» मन्त्र:13 | अष्टक:6» अध्याय:2» वर्ग:40» मन्त्र:3 | मण्डल:8» अनुवाक:5» मन्त्र:13


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शिव शंकर शर्मा

पदार्थान्वयभाषाः - वेदों में बहुत नामों से परमात्मा गाया गया है। किसी-२ ऋचा में बहुत नाम आ गए हैं। वहाँ नामकृत बहुवचन भी है। अतः नाम पृथक्-२ देवों के हैं। ऐसा भ्रम भाष्यकारों को हुआ है। वे ईश्वर के ही नाम हैं, क्योंकि उसका चिह्न पाया जाता है। (मित्रः) सबके साथ स्नेहकर्ता जो मित्र-वाच्य परमात्मा है, (अर्य्यमा) गृहस्थ पुरुषों से माननीय जो अर्य्यमा-वाच्य ईश्वर है, (वरुणः) सबका स्वीकरणीय जो वरुण-वाच्य ब्रह्म है, वे (यथा) जिस प्रकार (नः) हम उपासकों के (गोपाः सन्ति) रक्षक होवें। ऐसी सुबुद्धि हम लोगों को देवें और जैसे हम लोगों के (ऋतस्य) सत्य के (पन्थाः) मार्ग (सुगाः) सुगमनीय=सरल होवें, ऐसी कृपा करें ॥—१३॥
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हरिशरण सिद्धान्तालंकार

स्नेह, संयम, निर्देषता व सत्य

पदार्थान्वयभाषाः - [१] (यथा) = जिस प्रकार (नः) = हमारे लिये (मित्रः) = स्नेह की देवता, (अर्यमा) = शत्रु नियमन की देवता [ अरीन् यच्छति ] (वरुणः) = निर्देषता का भाव (गोणः) = रक्षक (सन्ति) = हैं, इसी प्रकार (ऋतस्य पन्थाः) = सत्य के मार्ग (सुगाः) = शोभनतया गन्तव्य हैं, कल्याण की ओर ले चलनेवाले हैं। [२] जीवनयात्रा में 'स्नेह, संयम व निर्देषता' का धारण आवश्यक है। यही मार्ग हमारा रक्षण करेगा। सत्य के मार्ग से चलते हुए हम सदा शुभ को प्राप्त होंगे।
भावार्थभाषाः - भावार्थ- हमारे जीवनों में 'स्नेह, संयम, निर्देषता व सत्य' हों।
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शिव शंकर शर्मा

पदार्थान्वयभाषाः - वेदेषु बहुभिर्नामभिः परमात्मा गीयते। कस्यांचिदृचि अनेकानि नामानि कीर्त्यन्ते। तत्र नामकृतबहुवचनमपि भवति अतस्तानि खलु पृथग् देवानां नामानि सन्तीति भ्रम एव भाष्यकाराणाम्, तानि ईश्वरनामानि लिङ्गदर्शनात्। मित्रः सर्वैः सह स्नेहकर्ता यो मित्रवाच्य ईशोऽस्ति। अर्य्यमा अर्य्यैर्गृहस्थैः पुरुषैर्मान्यो योऽर्य्यमन् वाच्योऽस्ति। वरुणः सर्वैः स्वीकरणीयो यो वरुणवाच्य ईशः। एते। नोऽस्माकं गोपा रक्षकाः। यथा सन्ति सन्तु तादृशीं सुबुद्धिं अस्मभ्यं दत्त। अपि च यथा अस्माकम् क्रतस्य सत्यस्य पन्थाः पन्थानो मार्गाः। सुगाः। सुगमनाः। सरला भवेयुः, तथा कृपां कुरुत ॥१३॥
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डॉ. तुलसी राम

पदार्थान्वयभाषाः - Since Mitra, lord of love, light and friendship, Aryama, universal guide and path maker, and Varuna, lord of judgement and justice, are our protectors, may our paths of advancement and rectitude be simple, straight and easy.