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उ॒त नो॑ दे॒व्यदि॑तिरुरु॒ष्यतां॒ नास॑त्या । उ॒रु॒ष्यन्तु॑ म॒रुतो॑ वृ॒द्धश॑वसः ॥

अंग्रेज़ी लिप्यंतरण

uta no devy aditir uruṣyatāṁ nāsatyā | uruṣyantu maruto vṛddhaśavasaḥ ||

पद पाठ

उ॒त । नः॒ । दे॒वी । अदि॑तिः । उ॒रु॒ष्यता॑म् । नास॑त्या । उ॒रु॒ष्यन्तु॑ । म॒रुतः॑ । वृ॒द्धऽश॑वसः ॥ ८.२५.१०

ऋग्वेद » मण्डल:8» सूक्त:25» मन्त्र:10 | अष्टक:6» अध्याय:2» वर्ग:22» मन्त्र:5 | मण्डल:8» अनुवाक:4» मन्त्र:10


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शिव शंकर शर्मा

सबसे प्रजाएँ रक्षणीय हैं, यह दिखलाते हैं।

पदार्थान्वयभाषाः - (उत) और (देवी+अदितिः) उत्तमगुणयुक्ता सत्पुत्रों को पैदा करनेवाली लोकमाता (नः+उरुष्यताम्) हम लोगों का साहाय्य और रक्षा करे और (नासत्या) असत्यरहित वैद्यगण हमारी रक्षा करें और (वृद्धशवसः+मरुतः) परम बलवान् सेनानायकगण भी हमारी रक्षा करें ॥१०॥
भावार्थभाषाः - प्रजारक्षा ही परमधर्म है, दण्ड के भय से ही शान्ति रहती है, अतः यथाशक्ति सब ही श्रेष्ठ पुरुष और स्त्रियाँ इस कार्य्य में दत्तचित्त और सावधान रहें ॥१०॥
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हरिशरण सिद्धान्तालंकार

अदिति:-नासत्या-मरुतः

पदार्थान्वयभाषाः - [१] उत=और देवी-दिव्यगुणों की जननी अदितिः - स्वास्थ्य की देवता नः- हमें उरुष्यताम्- रक्षित करे यह अदिति ही 'मित्र और वरुण' को जन्म देकर, स्नेह व निर्देषता को उत्पन्न करके, हमारा रक्षण करती है। नासत्या= सब असत्यों को दूर करनेवाले अश्विनीदेव हमारा रक्षण करें। [२] वृद्धशवस:-बढ़े हुए बलवाले मरुतः = प्राण उरुष्यन्तु - हमारा रक्षण करें।
भावार्थभाषाः - भावार्थ- 'दिव्यगुणों को जन्म देनेवाली स्वास्थ्य की देवता, प्राणापान तथा शरीर में कार्य करनेवाले अन्य प्राण' ये सब हमारा रक्षण करें।
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शिव शंकर शर्मा

प्रजाः सर्वै रक्षणीया इति दर्शयति।

पदार्थान्वयभाषाः - उत=अपि च। देवी+अदितिः=माता। सत्पुत्राणां जनयित्री माता। नोऽस्मान्। उरुष्यताम्=रक्षतु। नासत्या=असत्यरहितौ वैद्यौ। रक्षतः। वृद्धशवसः=प्रवृद्धबलाः। मरुतः=सेनानायकाश्च। उरुष्यन्तु=रक्षन्तु ॥१०॥
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डॉ. तुलसी राम

पदार्थान्वयभाषाः - May Mother Nature divine and the mother power of humanity of inviolable strength protect and promote us. May the Ashvins, ever true, complementary powers of natural and social dynamics protect and promote us. May the Maruts, distinguished people of veteran strength and power protect and promote us.