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प्र यं रा॒ये निनी॑षसि॒ मर्तो॒ यस्ते॑ वसो॒ दाश॑त् । स वी॒रं ध॑त्ते अग्न उक्थशं॒सिनं॒ त्मना॑ सहस्रपो॒षिण॑म् ॥

अंग्रेज़ी लिप्यंतरण

pra yaṁ rāye ninīṣasi marto yas te vaso dāśat | sa vīraṁ dhatte agna ukthaśaṁsinaṁ tmanā sahasrapoṣiṇam ||

मन्त्र उच्चारण
पद पाठ

प्र । यम् । रा॒ये । निनी॑षसि । मर्तः॑ । यः । ते॒ । व॒सो॒ इति॑ । दाश॑त् । सः । वी॒रम् । ध॒त्ते॒ । अ॒ग्ने॒ । उ॒क्थ॒ऽशं॒सिन॑म् । त्मना॑ । स॒ह॒स्र॒ऽपो॒षिण॑म् ॥ ८.१०३.४

ऋग्वेद » मण्डल:8» सूक्त:103» मन्त्र:4 | अष्टक:6» अध्याय:7» वर्ग:13» मन्त्र:4 | मण्डल:8» अनुवाक:10» मन्त्र:4


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हरिशरण सिद्धान्तालंकार

'उक्थशंसी-सहस्त्रपोषी ' सन्तान

पदार्थान्वयभाषाः - [१] हे (वसो) = वसानेवाले, सब वसुओं के स्वामिन् प्रभो ! (यम्) = जिस पुरुष को (राये निनीषसि) = आप ऐश्वर्य के लिये ले चलना चाहते हैं और (यः) = जो (ते) = आपके प्रति (दाशत्) = अपने को दे डालता है, (सः) = वह (वीरं धत्ते) = वीर सन्तानों को प्राप्त करता है। [२] हे (अग्ने) = परमात्मन्! इस, आप से ऐश्वर्य को प्राप्त करके [ आपके प्रति अपना यज्ञशील] पुरुष को अर्पण करनेवाले वह सन्तान प्राप्त होती है, जो (उक्थशंसिनम्) = प्रभु के स्तोत्रों का शंसन करनेवाली होती है। और (त्मना) = स्वयं (सहस्त्रपोषिणम्) = सहस्रों का पोषण करनेवाली होती है।
भावार्थभाषाः - भावार्थ- हम प्रभु से ऐश्वर्यों को प्राप्त करके प्रभु के प्रति अपना अर्पण करनेवाले यज्ञशील बनें। प्रभु कृपा से हमें प्रभु-स्तवन करनेवाला सहस्रों का पोषण करनेवाला वीर सन्तान प्राप्त होगी ।
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डॉ. तुलसी राम

पदार्थान्वयभाषाः - O Giver of light, wealth and power of life, Agni, the mortal who offers to serve you with self-surrender and gives in charity and whom you lead on the path of prosperity and rectitude is blest with progeny celebrated in song for his thousandfold generosity.