मा नो॑ हृणीता॒मति॑थि॒र्वसु॑र॒ग्निः पु॑रुप्रश॒स्त ए॒षः । यः सु॒होता॑ स्वध्व॒रः ॥
अंग्रेज़ी लिप्यंतरण
मन्त्र उच्चारण
mā no hṛṇītām atithir vasur agniḥ purupraśasta eṣaḥ | yaḥ suhotā svadhvaraḥ ||
पद पाठ
मा । नः॒ । ह॒णी॒ता॒म् । अति॑थिः । वसुः॑ । अ॒ग्निः । पु॒रु॒ऽप्र॒श॒स्तः । ए॒षः । यः । सु॒ऽहोता॑ । सु॒ऽअ॒ध्व॒रः ॥ ८.१०३.१२
ऋग्वेद » मण्डल:8» सूक्त:103» मन्त्र:12
| अष्टक:6» अध्याय:7» वर्ग:15» मन्त्र:2
| मण्डल:8» अनुवाक:10» मन्त्र:12
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हरिशरण सिद्धान्तालंकार
सुहोता- स्वध्वरः
पदार्थान्वयभाषाः - [१] वे प्रभु (नः) = हमारे लिये (मा हृणीताम्) = क्रोधवाले न हों, हम प्रभु के कोपभाजन न हों। उस प्रभु के जो (अतिथिः) = हमारे हित के लिये निरन्तर गतिशील हैं, (वसुः) = सब को वसानेवाले हैं और (अग्निः) = अग्रेणी हैं। [२] (एषः) = ये प्रभु (पुरुप्रशस्तः) = अत्यन्त प्रशस्त हैं । (यः सुहोता) = जो प्रभु उत्तम दाता हैं और (स्वध्वरः) = उत्तम हिंसारहित कर्मोंवाले हैं।
भावार्थभाषाः - भावार्थ- हम प्रभु के कोपभाजन न हों। प्रभु की तरह ही निरन्तर क्रियाशील बनें, सब को बसानेवाले हों, आगे बढ़ें, प्रशस्त कर्मों को करें, दानशील व यज्ञशील हों।
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डॉ. तुलसी राम
पदार्थान्वयभाषाः - May this Agni, welcome as a venerable visitor, shelter home of the world, universally adored who is the noble giver and generous high priest of cosmic yajna, never feel displeased with us, may the lord give us fulfilment.
