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यत्सोम॒ आ सु॒ते नर॑ इन्द्रा॒ग्नी अजो॑हवुः । सप्ती॑वन्ता सप॒र्यव॑: ॥

अंग्रेज़ी लिप्यंतरण

yat soma ā sute nara indrāgnī ajohavuḥ | saptīvantā saparyavaḥ ||

मन्त्र उच्चारण
पद पाठ

यत् । सोमे॑ । आ । सु॒ते । नरः॑ । इ॒न्द्रा॒ग्नी इति॑ । अजो॑हवुः । सप्ति॑ऽवन्ता । स॒प॒र्यवः॑ ॥ ७.९४.१०

ऋग्वेद » मण्डल:7» सूक्त:94» मन्त्र:10 | अष्टक:5» अध्याय:6» वर्ग:18» मन्त्र:4 | मण्डल:7» अनुवाक:6» मन्त्र:10


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आर्यमुनि

पदार्थान्वयभाषाः - हे (इन्द्राग्नी) कर्म्मयोगी तथा ज्ञानयोगी विद्वानों ! (नरः) यज्ञों के नेता ऋत्विगादि (यत्) जब (सोमे) सोम औषधि के (सुते) बनने के समय (सपर्यवः) आपके उपासक जब उक्त समय में (अजोहवुः) आपको बुलाएँ, तो आप वहाँ जाकर उनको सदुपदेश करें, (सप्तीवन्तः) आप ज्ञानसंपन्न हैं ॥१०॥
भावार्थभाषाः - परमात्मा उपदेश करते हैं कि हे विद्वानों ! आप ऋत्विगादिक विद्वानों के यज्ञों में जाकर उनकी शोभा को अवश्यमेव बढ़ाएँ ॥१०॥
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हरिशरण सिद्धान्तालंकार

चिकित्सा व्यवस्था

पदार्थान्वयभाषाः - पदार्थ- हे (सप्तीवन्ता) = उत्तम अश्वों के स्वामी, (इन्द्राग्नी) = विद्युत्, अग्निवत् तेजस्वी, शत्रुसंतापक जनो! (यत्) = जब (सोमे सुते) = पुत्रवत् प्रिय 'सोम' अर्थात् ओषधि, अन्नादिवत् भोग्य राष्ट्र में (नरः) = नायक लोग (सपर्यवः शुश्रूषा) = करते हुए (आ अजोहवुः) = आदर से बुलाते हैं तब आप आइये।
भावार्थभाषाः - भावार्थ- राजा अपनी प्रजा के लिए स्वास्थ्य व चिकित्सा की समस्त व्यवस्था उपलब्ध करावे। जब भी किसी को स्वास्थ्य सेवा की आवश्यकता होवे उसे तुरन्त सुविधा उपलब्ध हो ।
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आर्यमुनि

पदार्थान्वयभाषाः - (इन्द्राग्नी) हे कर्मज्ञानयोगिनौ ! (नरः) यज्ञस्य नेतारः ऋत्विगादयः (यत्) यदा (सोमे, सुते) सोमरसे सिद्धे (सपर्यवः) भवदुपासकाः (अजोहवुः) आह्वयेयुः (सप्तीवन्ताः) तदा सदुपदिश्य तान् सप्तविधैरनेकविधैर्धनैर्योजयताम् ॥१०॥
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डॉ. तुलसी राम

पदार्थान्वयभाषाः - When the soma is pressed out and distilled in yajna and the leading performers with full faith offer it to you in homage, then O Indra and Agni, guides and pioneers of light and action for success, pray accept the call and come post haste to join and enjoy the celebrations.