बळि॒त्था म॑हि॒मा वा॒मिन्द्रा॑ग्नी॒ पनि॑ष्ठ॒ आ। स॒मा॒नो वां॑ जनि॒ता भ्रात॑रा यु॒वं य॒मावि॒हेह॑मातरा ॥२॥
baḻ itthā mahimā vām indrāgnī paniṣṭha ā | samāno vāṁ janitā bhrātarā yuvaṁ yamāv ihehamātarā ||
बट्। इ॒त्था। म॒हि॒मा। वा॒म्। इन्द्रा॑ग्नी॒ इति॑। पनि॑ष्ठः। आ। स॒मा॒नः। वा॒म्। ज॒नि॒ता। भ्रात॑रा। यु॒वम्। य॒मौ। इ॒हेह॑ऽमातरा ॥२॥
स्वामी दयानन्द सरस्वती
फिर अध्यापक और उपदेशक कैसे हों, इस विषय को कहते हैं ॥
हरिशरण सिद्धान्तालंकार
मिलित इन्द्राग्नी की अद्भुत महिमा
स्वामी दयानन्द सरस्वती
पुनरध्यापकोपदेशकौ कीदृशौ भवेतामित्याह ॥
हे इन्द्राग्नी ! यो वां पनिष्ठो बड् महिमा वां समानो जनितेहेहमातरा यमौ भ्रातरा वर्त्तेते तावित्था युवमाजीवथः ॥२॥
डॉ. तुलसी राम
आचार्य धर्मदेव विद्या मार्तण्ड
How should teachers and preachers be—is told.
O teachers and preachers! your power and true fame is highly admired, like air and electricity. You Hive for the benefit of others, and serve those father, mother and brothers, who carry the burden of household.
